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निजी संवाददाता-नारकंडा-जिला शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सोमवार को सीजन का पहला हिमपात होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। कई दशकों बाद नवंबर माह में दीपावली पर्व के दौरान बर्फबारी होने से जहां किसान बागबान खुश हंै। वहीं पर इतनी जल्द बर्फ गिरने से हैरान भी है। सोमवार सुबह स्नो सिटी नारकंडा बर्फ की सफेद चादर में लिपटी नजर आई। नारकंडा की हाटु पीक और मतियाना की कमलोड़ी पीक पर लगभग आधा फुट बर्फ और नारकंडा मतियाना में एनएच पांच पर दो ईंच बर्फ दर्ज की गई। मौसम के बदले मिजाज से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है। निचले इलाकों में जहां बारिश हुई, वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीजन का पहला हिमपात हुआ है। मौसम के बदले मिजाज ने लोगो को गर्म कपडे़ पहनने पर मजबूर कर लिया है। नारकंडा में समय रहते हिमपात होने से स्की स्लोप धोमड़ी में भी इस बार जल्द ही स्कींग शुरू होने की आस है। पर्यटक नगरी नारकंडा में पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ने वाली है। नारकंडा में इस सर्दी का यह पहला हिमपात है। हालांकि इस हिमपात से यातायात पर कोई असर नही पड़ा है। वहीं नंवबर माह में हुइ बारिश और बर्फबारी से क्षेत्र के बागबान और किसान गदगद हुए हैं। कई माह से बारिश न होने से बागबान निराश थे। मौसम न बरसने से सेब के पौधों में कैकर रोग का भी खतरा पैदा हो रहा था। वहीं बगीचों में भी सूखे के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा था, ऐसे में यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो लंबे समय से खुश्क पड़ी धरा पर हुइ बारिश और बर्फबारी संजीवनी का काम करेगी और आने वाली सर्दियों के लिए भी अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है।
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इससे इतना अवश्य स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की उत्पत्तिौर उसके विकास के साथ-साथ रंगमंच की उत्पत्ति और उसका विकास हुआ है। रंगमंच की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक मत और विचारणीय है और वह है अनुमान के आधार पर । मानव सभ्यता की उत्तरोत्तर उन्नति में विश्वास करनेवाले विकासवादियों का कहना है कि नाटक की उत्पत्ति नृत्य से हुई है। उस समय जब मानव की वाक्-शक्ति का विकास नहीं हुआ था तब मुख के श्रावेग को उसने नृत्य द्वारा ही व्यक्त किया होगा। आगे चलकर उस नृत्य में गति और लय को सुधरता यी होगी। नृत्य में गति और लय आने के पश्चात् विशेष अवसरों पर नृत्य का आयोजन होता रहा होगा और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना के रूप में गीत भी गाये जाते रहे होंगे और उन गीतों के साथ वाद्यों का भी प्रयोग किया जाता रहा होगा। इन दो अवस्थों के पश्चात् धीरे-धीरे दिवंगत वीरों की जीवन घटनाओं को भी उनके साथ मिला लिया गया होगा। इस प्रकार नृत्य, गीत और घटना के जोड़मेल से उस समय के लोगों को मनोरंजन का एक साधन, मिल गया होगा। इसके बाद नाटक के जीवन में एक चौथी अवस्था आयी होगी और तब उसमें संवाद को भी स्थान मिल गया होगा। नृत्य + गीत + घटना + संवाद से नाटक का जो रूपाया होगा उसमें उस समय के कलाकारों ने अभिनय कला को भी स्थान दिया होगा और फिर कथानक के चुनाव में धार्मिक स्थलों और संवादों का विधान चल पड़ा होगा। ऐसा लगता है कि इसी के पश्चात् प्रशिक्षित लोगों के नाटक के ये पाँच तत्त्व साहित्यकारों ने अपना लिये होंगे और उन्होंने उनमें संतुलन और सामंजस्य स्थापित करके उनको 'रस' के आश्रित कर दिया होगा। इस प्रकार नृत्य + गीत + घटना + संवाद + प्रभिनय + रस ने एक साथ मिलकर नाटक को जन्म दिया होगा। इसके बाद अन्य कलाकारों ने इन छः तत्वों के अंतरंग और बहिरंग में कला का प्रवेश करके
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भोपाल । मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा अपने परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ आत्महत्या करने के मामले में सियासत हो रही है। राजधानी के नजदीक स्थित विदिशा जिले में भाजपा के नगर मंडल उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खाकर बीते रोज आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है जिसमें कहा गया है कि बच्चों की लाइलाज बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाया। भाजपा नेता के अपने परिवार के सदस्यों के साथ आत्महत्या करने का मामला सामने आने पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हनुमा आचार्य ने ट्वीट कर कहा कि अभी अभी अपने शहर विदिशा से एक हृदय विदारक घटना सुनी है कि विदिशा के पूर्व बीजेपी पार्षद संजीव मिश्रा ने अपनी पत्नी और दो बच्चों सहित खाया जहर। गणतंत्र दिवस के दिन चारों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्यों अपने पार्षद का दुख तक न जान सके विदिशा को अपना जताने वाले शिवराज सिंह चौहान? कांग्रेस नेत्री के ट्वीट पर भाजपा के प्रदेष प्रवक्ता डा हितेष वाजपेयी ने जवाब में कहा, मौत पर राजनीतिक रोटियां सेकने वाली लज्जाजनक हरकत से पहले जान लो कि उनका बेटा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित था जिससे पूरा परिवार डिप्रेशन मे था। कभी टाइम निकाल कर घर हो आती तो पता चलता न? पर हो तो कुण्ठित कांग्रेसी ही न! (आईएएनएस)
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में रहना ही बतलाया गया है। और इस कारण महात्मा प्रायः वन मे ही रहते हैं। मैं अपनी यावश्यकता पूर्ति के लिए ही नगर में जाता हूँ।' भगवान् महावीर के पधारने का जहाँ कहीं वर्णन किया गया है, वहां यही कथन है कि भगवान् अमुक बाग में पधारे। श्रेणिक और श्रनाथी मुनि की मुलाकात भी वन में हुई थी । इस प्रकार विवेकवान् को वन में जैसा लाभ होता है, नगर में नहीं होता । मुनि ने गंगकुमार से कहा- 'हे वत्स ! तू मेरे पास है, इसलिए मै तुझे दो शब्द सुनाता हूँ । तू मेरे शब्दों को ध्यान से सुन ।' जो ज्ञान का पात्र होता है वही ज्ञान का झेल सकता है । कुपात्र ज्ञान को पचा नहीं सकता । यहाँ पात्र और उपदेशक दोनों ही योग्य थे । पात्र गंगकुमार है और उपदेशक आकाश में उड़ने की शक्ति रखने वाले चारण मुनि ! यह किसी प्रकार के बंधन में नहीं रहते। लेकिन उनकी शक्ति केवल उन्हीं के लिए नहीं होती। वे अपनी समस्त शक्तियाँ आत्मकल्याण के साथ जगत् के कल्याण में व्यय करते हैं । उन मुनि में किसी प्रकार का कल्पित पक्ष नहीं था और न वन में ही किसी प्रकार का पक्ष था । वन की बात जाने भी दीजिए और जिस मकान में आप बैठे हैं, उसी मकान की बात- सोचिए । यह मकान पक्ष नहीं करता कि मै को नहीं बैठने दूँगा । जब मकान ऐसा पक्ष नहीं करता तो यह किसका माना जय ? ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है कि मकान किसी का नहीं है, कुदरत के नियम का है। ऐसा होते हुए भी अगर कोई मनुष्य मकान के लिए अभिमान करता है तो उसका अभिमान मिथ्या है । जो वस्तु अभिमान त्यागने का बोध देती है उसी को अभिमान का कारण बना लेना कितना अनुचित है ? कान भी फिर भी सनुष्य उसे सिर्फ अपना मानकर घमण्ड करता है ! स्त्रियाँ भोजन बनाकर अभिमान करती हैं कि हमने बनाया है। लेकिन यह अभिमान क्यों ? आटा, आग, पानी और लकड़ी यह अभिमान नहीं कर सकते ? क्या इनके बिना भोजन वन सकता है ? फिर भी जब यह लव वस्तुएँ अहकार नहीं करतीं तो वहिनें क्यों अभिमान करती है ? अगर भोजन बनाने वाली बहिनें ऐसा विचार करें तो बहुत लाभ हो सकता है । 'हाय मेरे माथे पर कितना भार है - घर भर का काम मुझे ही करना पड़ता है, प्रकार अहकारमिश्रित दुःख प्रकट करने से हानि ही होती है। कई स्त्रियों घड़ी भर सामायिक में बैठने में तो ग्रानन्द मानती हैं, लेकिन किसी बीमार की सेवा करनी पढ़े तो बढ़ी फटिनाई और मुसीवत समझती हैं। वह कहने मेरा दिन तो मल-मूत्र उठाने में ही जाता है !
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वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज कंपनी का असर देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी दिखाई देने लगा है। जेट एयरवेज कंपनी ने देहरादून एयरपोर्ट पर मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा पांच मई तक के लिए स्थगित कर दी है। फ्लाइट स्थगित होने से शनिवार को हवाई यात्रियों को परेशानी से दो चार होना पड़ा। शनिवार को मुंबई और गुवाहाटी जाने के लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे कई हवाई यात्रियों को वापस लौटने और दूसरे माध्यमों से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मौजूदा समय में देहरादून से सिर्फ जेट एयरवेज ही मुंबई के लिए अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। राज्य के पर्यटन और तीर्थाटन के लिए आने वाले लोगों को हवाई सेवा उपलब्ध नहीं होने से आगे भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। मुंबई के लिए जेट एयरवेज काफी लंबे समय से अपनी हवाई सेवा उपलब्ध कराता आ रहा है। मुंबई जैसे मुख्य शहर से भारी संख्या में पर्यटक उत्तराखंड घूमने के लिए आते हैं। सेवा स्थगित होने से ऐसे हवाई यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। यदि ऐसा ही रहा तो दिल्ली जैसे शहरों की उड़ानों पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है। विमानन कपंनी के अधिकारियों के अनुसार दिल्ली की उड़ानें अभी सामान्य है। मई महीने से चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में मुंबई और गुवाहाटी की हवाई सेवा अचानक स्थगित होने के कारण उन श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ सकती है, जिन्होंने हवाई यात्रा से जौलीग्रांट तक पहुंचने की योजना बनाई हुई थी।
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भावनाहीन को मे समान सुख नहीं और भावनानीत कोदा के समान कोई दुख नहीं। उसके लिए भावना ही जीवन के है--उसमें निहित हो उसे जोवन के साथ खलाबद्ध करती है। इस दावे नष्ट होते ही वह प्रधा बन जाता है। जड़ हो जाना है--फिर उसे मृत्यु के प्रतिषित दूसरा रास्ता दिखाई नहीं देता। आइस्क्या मृत्यु से भयभीत नहीं हुप्रा पर पिता के पविश्वास के कपाल से यह दुखी रहने लगा। गौवाजी उसके स्पक्ष वा अनुभव करने से कठिन सपश्चर्या द्वारा प्राण त्यागने के लिए तयार हो जाता है । श्रद्धा के सुधार से घवराये हुए सुदर्शन का मस्तिष्क ठिकाने नही रहा उसका शरीर पसीने-पसीने हो गया। उसको भाँखें देख रही थों पर उसे कुछ दिखाई न देता था। परिचित रास्ते से उसके पर उसे कादावाडी ले गये। वह चान को सीडियो पर चढ़ा। उसके ब अन्तर से निराशा की शप-उसके प्राण साथ सेकर--बाहर निकलने की सवारी करने लगी । उसके पर रुके प्रवासाल की कोठरी को देहली पर दोवन पर बठी हुई पनी को उसने सूरत से प्रकाशित होने वाले पत्र वारिस बड़े पढ़ते हुए देखा उसको गर्दन एक अद्भुत छटास कृषी हुई पो उसने मुख पर तेश-जैसे देवी हो ऐसा-दोप्त हो रहा था । पनो वहिन ! क्या कर रही हो ? दास पढ़ रही हूँ । सुदान घोडी देर सड़ा रहा, फिर जसे उसके हृदय का सार टूट रहा हो इस प्रकार निराधा भरे स्वर में उसने पूछा धनी वहिन । मां स्वतन्त्र होगी ? " घनी ने कर देखा तो सुनको घराहट की दशा में पाया । स्त्री हृदय को स्वामायिक समझ से उसने सुदशन की ओर सहानुभूति से देखा और उठकर पास थाई । 'मदुमाई । क्या पूछ रहे हो? क्या होगा ? यह 'माँ' को स्व
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Amitabh Bachchan: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक अजनबी का आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें ट्रैफिक को मात देने और फिल्म की शूटिंग के स्थान पर समय पर पहुंचने में मदद की. टोपी, शॉर्ट्स और पीले रंग की टी-शर्ट पहने दयालु अजनबी की एक तस्वीर साझा करते हुए, दिग्गज अभिनेता ने उन्हें लिफ्ट देने और मुंबई के ट्रैफिक जाम से बचने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया. उस व्यक्ति को न जानने के बावजूद, अमिताभ बच्चन अजनबी के दयालु भाव की सराहना करते दिखे. देखें तस्वीरः (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं. )
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उनके अनुसार बुद्धिका जीवन अथवा नियमनिष्ठ जीवन ही योग्य जीवन है। यह लोकरीतियों और प्रचलनोंका विरोधी नहीं है क्योंकि मानवसमाजमें स्थापित नियमों और रीतियोंके रूप में ही सामान्य बुद्धि मूर्तिमान् होती है। मनुष्यका कर्त्तव्य उनके अनुरूप कर्म करना है, न कि उनके विपरीत । मानव-जीवन नियमसे मुक्त नहीं है । सच्चे नियमको समझना और उसका पालन करना ही मनुष्यका ध्येय है । स्टोइक्स यथार्थवाद और आदर्शवाद दोनों को ही अपना लेते हैं । यथार्थ ही को बौद्धिक भी मानते हुए वे कहते हैं कि भाग्यकी घटनाओंके प्रति उदासीन रहना चाहिये । परिवर्तनशील परिस्थितियोंसे प्रभावित न होकर दृढ़ एवं कठोर बने रहना चाहिये । किन्तु साथ ही वे यह भी मानते हैं कि सब वस्तुएँ मिलजुलकर शुभके लिए काम करती हैं । व्यक्ति विश्वका अङ्ग है, उसे जीवनकी घटनाओंको स्वीकार करना चाहिये ; क्योंकि व्यक्तिपर जो कुछ भी बीतता है वह विश्व के लिए शुभ है । वास्तवमें सुकरातके सभी अनुयायियोंने किसी न किसी रूपमें यह माना कि विश्वकी धारणा दिव्य विचारसे संघटित और व्यवस्थित है । कुछ दार्शनिक इस परिणामपर भी पहुँचे कि दिव्य विचार ही विश्वकी एकमात्र सत्य सत्ता है। यह सर्वेश्वरवाद है । स्टोइक्सके सिद्धान्तमें यह विचार मानव-शुभकी धारणासे युक्त हो गया है। वे कहते हैं कि विश्व ज़ैउस्से विकसित हुआ है और अन्तमें यह फिर उसीमें लीन हो जायगा । अपने मूलरूपमें दैवी होने के कारण विश्व पूर्ण है। उसके अङ्गों में जो त्रुटियाँ या खोट दिखाई पड़ते हैं उनका कारण यह है कि हम उन्हें समग्रतासे अलग करके देखते हैं । समग्रताके दृष्टिकोण से विश्व पूर्ण तथा शुभ है । भौतिक विश्व सम्बन्धी इस प्रकार के ईश्वरज्ञानने स्टोइक्सको यह बतलाया कि लौकिक सत्यके अनुसार विवेक मानव-कल्याण के लिए पूर्ण रूपसे पर्याप्त है । सार्वभौम लोग 'स और भगवान् एक ही हैं । अतः लोग स या बुद्धिके अनुरूप कर्म करना अन्तःस्थित भगवान्के अनुरूप कर्म करना है । जिस बुद्धिको उन्होंने सर्वोच्च कहा वह जेउसकी बुद्धि है, साथ ही देवताओं,
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इंदौर के लाॅ कालेज की लाइब्रेरी में रखी गई विवादित पुस्तक की लेखिका डा. फरहत खान की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पुस्तक की महिला प्रकाशक उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उमा की गिरफ्तारी उसके घर से हुई है। पांच साल पहले इस किताब को प्रकाशित किया गया था और किताब के विवादित हिस्से की शिकायत के बाद किताब प्रतिबंधित हो गई थी। बाद में उस हिस्से को हटाकर नई किताब प्रकाशित कर दी गई थी, लेकिन प्रतिबंधित संस्करण की किताब लाॅ काॅलेज की लाइब्रेरी में मिली थी। जिसे आधार बनाते हुए पुलिस ने काॅलेज प्राचार्य, प्रोफेसर, लेखिका व प्रकाशक केे खिलाफ केस दर्ज किया था। किताब इंदौर की जिला कोर्ट के सामने अमर लाॅ पब्लिकेशन ने प्रकाशित की थी। पुलिस को किताब की लेखिका डाॅ. फरहत खान को पुणे से गिरफ्तार किया था, वह पुणे के एक अस्पताल में भर्ती मिली थी। डाॅ. फरहत की दोनो किडनियां फेल है। वह इलाज के लिए भर्ती है। अब पुलिस ने किताब की लेखिका उमा छेत्रपाल को भी गिरफ्तार कर लिया है। उधर पुलिस ने लाइब्रेरी में किताब रखने के मामले में काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. रहमान को आरोपी बनाया है,लेकिन वे भी तबीयत खराब होने के कारण वे एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। जिला कोर्ट ने उनका अग्रिम जमानत आवेदन भी खारिज कर दिया है। इस पूरेे मामले की जांच के लिए उच्च शिक्षा मंत्री ने जांच के लिए कमेेटी गठित की थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने प्राचार्य और तीन प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है। अापको बता देें कि डा. फरहत खान ने सामूहिक हिंसा और दांडिक न्याय पद्धति किताब लिखी थी। जिसमें आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के बारे में भड़काने वाली बातें लिखी गई थी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तीन साल पहले किताब के विवादित हिस्सों को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद किताब प्रतिबंधित कर दी गई थी। वह किताब काॅलेज की लाइब्रेरी मेें मिली थी। इसके बाद भंवरकुआ पुलिस ने लेखिका, प्रकाशक, प्राचार्य और एक प्रोफेसर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। इस मामले में पहली गिरफ्तारी लेखिका की हुई है,जबकि दूसरी गिरफ्तारी प्रकाशक की हुई हैै। Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
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Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud: इस डिजिटल जमाने में आए दिन लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होते रहते हैं। आम जनता के साथ बॉलीवुड और टीवी सेलेब्स भी फ्रॉड करने वालों के निशाने पर रहते हैं। हाल ही में यह खबर आई है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) फेम नूपुर जोशी (Nupur Joshi) के साथ भी साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) हुआ है। दरअसल अदाकारा अपना सोशल मीडिया अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है और अब वह काफी डरी हुई हैं (Nupur Joshi Became A Victim Of Cyber Fraud)। नूपुर जोशी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए यह बताया कि वह अपना इंस्टाग्राम अकाउंट वेरीफाई करवाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने अपने गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ भी दे दिए थे। बाद में उन्हें यह पता चला कि वह ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। यह पोस्ट शेयर करते हुए अदाकारा ने लिखा 'हाल ही में मैंने इंस्टाग्राम को रिक्वेस्ट भेजा था जिसे हम दोनों के बीच में गोपनीय रहना था। लेकिन मुझे लगा कि यह इंस्टाग्राम टीम है जो असल में हैकर थे। उन्होंने मुझे ईमेल भेजा और मेरा गवर्नमेंट आईडेंटिटी प्रूफ मांगा। मेरे साथ धोखा हुआ है और अब मुझे डर लग रहा है क्योंकि मुझे नहीं पता भविष्य में क्या होगा। ' इसके बाद उन्होंने लिखा कि उन्हें एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करते हुए एक दशक हो गया है। लेकिन वह कभी भी ब्लू टिक को लेकर उत्साहित नहीं थीं। लेकिन कुछ फैंस और दोस्तों ने उन्हें बताया कि यह काफी महत्वपूर्ण है। नूपुर जोशी ने कहा कि वह फेक अकाउंट से ऐसा बचने के लिए कर रही थीं लेकिन खुद ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गई हैं। Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
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घोने चली जाती और वही सफ़द क छुट्टी के दिन पहनती थी, वह ताजगी गुलाबी कपोल और गीले केश लिये वापस लौट आती। और फिर वे सिनेमा, सर्कस या पार्क की सैर के लिए चले जाते । वे वहां जाते है, इससे अलेक्मेई के लिए कोई अंतर नही पड़ता था। वह मिनेमा के पर्दे को, सर्कस के रिंग को या इधर-उधर घूमते हुए लोगो को न देख पाता, वह सिर्फ उसी की तरफ़ निहारता और उसी की ओर देखना हुआ सोचता रह जाता, "बस, आज की रात घर की तरफ लोटते समय राह में ही मुझे प्रस्ताव रख देना चाहिए।" लेकिन राह भी में ख़त्म हो जाती और वह साहम न जुटा पाता । एक रविवार की सुबह वे वोल्गा के दूसरे किनारे के उपवन मे संर करने के लिए निकले। वह जब उसके घर उसे लेने गया तो वह अपनी जैसी सफेद पतलून और खुले कालर की कमीज पहने था, जो उसकी मा के बथनानुसार उसके ताम्रवर्ण, चौडे चेहरे के साथ खूब फबती थी। जब वह पहुंचा तो ओल्या तैयार थी। उसने एक रूमाल में लिपटा पार्सल मई को थमा दिया और वे दोनो नदी को भोर चल दिये। चूहे, पर-विहीन मल्लाह ने पहले विश्वयुद्ध का पंगू वीर, भड़ोस-पडोम के - बच्चों का परमप्रिय, जिसने अलेक्सेई को बचपन में निखाया था कि छि छने पानी में मछली कैसे पकड़ी जाती है - लकड़ी के ठूटो के बल पुस्ते हुए भारी नाव को धकेला और पतवार को हल्की-हल्की चोटो से खेने लगा। धारा को तिरछे काटती हुई, इन्वे-से हिचकोले खातो हुई नाव ने दूसरी तरफ़ स्थित निचले साफ हरे रंग के किनारे तक पहुंचने के लिए गहन नदी पार करना शुरू किया। लड़की नाव के किनारे पर हाथ रखे, चिन्तन मे लोन, जड़-सी बंटी थी और अपनी उगलियों पर से पानी को बह जाने दे रही थी। चाचा भरकादी, क्या तुम्हें हमारी याद नहीं ? " पलेक्सेई ने छ । महनाह ने इन युवा बेहरो की और उपेक्षा से देखा और बहाः "नही तो!" "गयों, यह क्या बात ? मैं हूई मेरेस्येव तुमने मुझे लिखायादा छिटले पानी में से महीने हैं।" शायद सिवाया हो। तुम जैसे यहां बहुत से टोकरे खेलने-फिरते थे। मैं उन सबतो नहीं याद रख सकता।"
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स्टारप्लस के शो 'फालतू' की कहानी हमेशा अपनी प्रेरणादायक और आकर्षक कहानी के लिए चर्चा में रही है जो अनचाही बालिकाओं के संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करती है। अपनी रिलीज के बाद से ही इस शो को हर तरफ से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है और इसने टॉप टीआरपी बटोरी है। 'फालतू' की कहानी ने दर्शकों के दिलों में गहरी जगह बना ली है जहां वे 'फालतू' की मासूमियत को पसंद कर रहे हैं और कई तरह से उससे जुड़ रहे हैं। हाल ही इस पर शो की लीड निहारिका चौकसी ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया है। निहारिका चौकसी ने कहा, फालतू जैसा ही अनुभव मुझे तब हुआ जब मैंने अपने माता-पिता से कहा कि मैं एक्टिंग लाइन में अपना करियर बनाना चाहती हूं। वे सपोर्टिव थे लेकिन मेरे रिश्तेदार नहीं थे। वे ऐसे थे जैसे लड़कियों को इस फील्ड में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट रूप से इस बारे में उनके ज्ञान की कमी को दर्शाता है और वे कितने भेदभावपूर्ण हैं। वे इस तरह से प्रतिक्रिया नहीं करते अगर मेरा भाई ऐसा करना चाहता था, इसलिए जैसा कि हम देख सकते हैं कि हम सभी अपने डेली लाइफ में इस तरह के भेदभाव का सामना करते हैं और हमें पता भी नहीं चलता। इस तरह के मुद्दों को सामने लाने में सबसे आगे होने के नाते, स्टार प्लस का नया शो फालतू एक प्रेरणादायक कहानी होने का वादा करता है, जो एक लड़की की ताकत के बारे में समाज के लिए एक बहुत ही मजबूत संदेश पेश करता है। दर्शकों को इस शो की कहानी बेहद पसंद आ रही है। जहां यह शो टॉप ट्रेंडिंग में से एक है, वहीं दर्शक हमेशा यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आगे के एपिसोड में शो क्या नया मोड़ लेने जा रहा है।
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शिमला। बीजेपी (BJP) हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों को लेकर समीक्षा बैठक करेगी। इस बैठक में विधान सभा चुनावों के सभी प्रत्याशियों (Candidates) से फीडबैक लिया जाएगा। यह बात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) ने कही। उन्होंने कहा कि पार्टी पूर्ण रूप से आश्वस्त है कि इस बार प्रदेश में रिवाज बदलेगा और बीजेपी इन चुनावों में पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर नया रिवाज बनाएगी और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार स्थापित होगी। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि इस बार प्रदेश में बंपर मतदान (Voting) हुआ है और जनता के रूझान एवं उत्साह से साफ जाहिर है कि प्रदेश की जनता ने इस बार प्रदेश में हुए विकास के नाम पर मुहर लगाई है। सुरेश कश्यप ने कहा कि कुछ दिन पूर्व बीजेपी की विधान सभा चुनावों के लिए गठित विभिन्न समितियों की बैठक परवाणू में संपन्न हुई थी, जिसमें समितियों द्वारा किए गए चुनावी कार्यों के लिए उनका आभार प्रकट किया गया था और उनसे सुझाव आमंत्रित किए गए थे। उन्होनें कहा कि कुछ समितियों ने चुनाव से संबंधित सुझाव प्रकट किए थे जिन पर पार्टी ने अमल करने आश्वासन दिया है और जो कुछ कमियां रह गई है, उन्हें भी दूर किया जाएगा। सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस (Congress) पार्टी जनता के बीच अपना अस्तित्व खो चुकी है। आजकल कांग्रेस के सभी नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाकर अपनी-अपनी वरिष्ठता को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह दिल्ली दौड़ किसी काम नहीं आएगी और हिमाचल में एक बार फिर बीजेपी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ स्थापित होगी। कश्यप ने कहा कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश में रिवाज बदलने जा रही हैं और इसी के साथ साथ बीजेपी गुजरात एवं नगर निगम दिल्ली में भी जीत हासिल करने की ओर अग्रसर है।
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'घटत्व', 'पटत्व' आदि अम॑स्य मामान्यों को भी समझना चाहिए । सामान्य को अतिरिक्त स्वतन्त्र पदार्थ न मानने के पक्ष में जो यह कहा गया द्रव्य, गुण और किया इन तीनों के समान 'सामान्य', जनता के किसी उपयोग में नहीं आता है, वह मो ठीक नहीं। क्योंकि उपयोग में न आने का अर्थ क्या है ? यदि यह कहा जाय कि आदान-प्रदान आदि किसी प्रकार को किया सामान्य को नहीं होती, यही उसका 'उपयोग में न आना' है। तो गुण और क्रिया का भी तो आदानप्रदान नहीं किया जा सकता, उनमें भो तो किसी प्रकार की क्रिया नहीं होती। फिर वे कैसे स्वतन्त्र पदार्थ हो सकेंगे ? द्रव्यों के अन्दर भो तो पृथ्वी, जल, तेज, वायु और मन इन पांचों में हो कोई क्रिया होती है आकाश आदि व्यापक द्रव्यों में नहीं, यह बात विस्तृत रूप से पहले ही बतलायी जा चुकी है। ऐसी परिस्थिति में वे व्य द्रव्य भो पदार्थ नहीं हो सकेंगे। क्योंकि आदान-प्रदानादि उनका भी नहीं हो पाता। अव्यापक पृथ्वी आदि सव द्रव्य भी सब के लेने देने में नहीं आते, फिर वे भी सबके लिए पदार्थ कैसे बन पायेंगे ? अतः जनता के उपयोग में आने का अर्थ अवश्य यही करना होगा कि जनता जिसे अग्रान्त रूप से समझती हो एवं दूसरों को स के लिए जिसे बरावर किसी शब्द से कहती आती हो वह अवश्य पदार्थ होगा। सार अर्थ यह कि किसी भी वस्तु को यथार्थ रूप से समझना एवं औरों को समझाने के लिए तद्वाचक शब्द का प्रयोग करना यही है उसको अपने उपयोग में लाना । ऐसी परि स्थिति में सामान्य' को पदार्थ मानना ही होगा। क्योंकि यथार्थ ज्ञान और तद्वा चक शब्द का प्रयोग सामान्य के सम्बन्ध में भी होता ही है। प्रत्येक फूल में रूप, रस, गंध आदि गुण, पार्थिव रेणुस्वरूप उपादान, एवं अवयव सन्निवेशस्वरूप आकृति, इनके अलग अलग होने पर भी सारी आपामर साधारण जनता "यह फूल है" इस प्रकार सभी फूलों को एक रूप से समझती है एवं वाक्य प्रयोग करती है । द्रव्यारमक पुष्प व्यक्तिओं को उक्त ज्ञान का विषय एवं प्रयुक्त 'पुष्प' शब्द का वाच्य अर्य कमी नहीं माना जा सकता। क्योंकि सारी जनता जव कि प्रत्यक्षरूप से पुष्प व्यक्तियों एवं उनको आकृतियों को असंख्य समझती है तब 'पुष्पत्व' सामान्य को विषय किये बिना, वह अनुगत रूप से "यह पुष्प है" इस प्रकार सारे फूलों को कैसे समझ पायेगी ? एवं कैसे एक अनुगत पुष्प शब्द से कह सकेगी ? अतः सारी जनता के उक्त ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग के आधार पर पुष्पत्व आदिजातियाँ अवश्य माननी होंगी। पुष्पत्व और पुष्प इन दोनों के विश्लेषण में, पार्थक्य-प्रवचन में अतिमूढ जनता भले ही असमर्थ हो परन्तु 'पुष्पत्व' से वह अपरिचित है यह नहीं कहा जा सकता । अन्यथा उक्त सार्वजनीन ज्ञान एवं वाक्यप्रयोग कभी नही हो सकता । यह तो सभी विषयों हुआ करता है कि अधिकतर लोग अनुमयमान वस्तुओं का भो ठोक में प्रवचन नहीं कर पाते, उन्हें वे अपने दैनंदिन प्रयोगों में नहीं ला पाते। किन्तु इगोलिए उम अनुभूयमान वस्तु की मान्यता नहीं घोषित की जा सकती। अन्यथा, गूंगा निर्वाचन नही कर पाता इसलिए उसने आम्यादित गुड़-माथुर्य मी अमान्य हूँ। बँटेगा । अत पुष्प से अलगपन सम्बन्धी शब्द प्रयोग आपामर-माधारण में होने पर भी उसका एवं उसके सम्बन्ध में होने वाले सार्वजनीन अनुभव का अपलाप नहीं किया जा यदि यह कहा जाय कि पुष्पत्य आदि सामान्य को मानने में तो कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु उसे एक स्वतन्त्र सतिया पदार्थ क्यों माना जाय? तो इस पर यह पछा चाहिए कि उस पुष्पत्य आदि सामान्य को द्रव्य माना जायगा या गुण माना जायगा या कर्म, विशेष, समवाय, अनाथ इनमें से कोई एक माना जायगा 'द्रव्य उसे इसलिए नहीं माना जा सकता कि द्रव्यय, गुगत्व, कर्मत्व आदि सामान्य व्यापक द्रव्य, गुण, कर्म मे भी रहते हैं किन्तु कोई द्रव्य उनमें नहीं रहता। अत द्रव्य, गुण, कर्म के स्वभाव का उल्न करने वाले सामान्य को द्रव्य, गुणया कर्म कमी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को विशेष नामक पदार्थ इसलिए नहीं कहा जा सकता कि विशेष केवल नित्य द्रव्य में रहा करते हैं। मामान्य तीजन्य द्रव्य, गुण और कर्म इनमें भी रहता है। सामा न्य को विशेष इसलिए भी नहीं कह सकते कि विशेष एक ही आश्रय में रहते है और सामान्य कमी एक आश्रयमात्र में नहीं रहता। इस प्रकार सामान्य और विशेष के स्वभाव में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को विशेष पदार्थ कभी नहीं कहा जा सकता । सामान्य को समवाय इसलिए नहीं कहा जा सकता कि समवाय किमी मे किसी का हुआ करता है, किन्तु प्रकृत सामान्य किसी में किसी का नहीं हुआ करता । इसलिए भी सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता कि सामान्य समयाय को सम्बन्ध बनाकर उसके सहारे अपने आश्रय में रहा करता है। कहने का अभिप्राय यह है कि सामान्य को सम्बन्ध रूप में समवाय की अपेक्षा होती है किन्तु समवाय को अपने आश्रय में रहने के लिए अन्य समवाय की अपेक्षा नहीं होती। अत सामान्य और समवाय के स्वभावों में महान् अन्तर होने के कारण सामान्य को समवाय नहीं कहा जा सकता । अमाव के आश्रय अन्य सभी पदार्थ हुआ करते है किन्तु सामान्य केवल द्रव्य गुण और कर्म इन्हीं तीन पदार्थों में रहता है । अभाव "नही है" इत्यादि निषेधज्ञान एवं निषेध-व्यवहार का विषय होने के कारण निषेधात्मक होता है। किन्तु सामान्य ठीक इसके अतिविपरीत "है" इस प्रकार केज्ञान एवं व्यवहार का विषय होने के कारण अनिषेधात्मक भाव रूप है । सुतरां सामान्य को अभाव नहीं कहा जा सकता ।
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'सभी भूमि गोपाल की' दूसरी है राजनैतिक आज़ादी। यह भी भारतीय होनी चाहिए। यह यूरोपीय नमूने की न हो, ब्रिटिश पार्लमेण्ट था सोवियट रूस या इटली का नमूना मैं कैसे लूँ ? मैं किसका अनुकरण करूँ ? मेरी राजनैतिक इस प्रकार की नहीं होगी, वह तो भारत भूमि की रचि की होगी ? हसारे यहाॅ स्टेट तो होगी, पर कारवार किस प्रकार का होगा, यह मैं श्राज नहीं बता सकता । गोलमेज़ कान्फ्रेंस मे मैंने यह कहने की धृष्टता की धीकको हिन्दुस्तान के लिए राजकीय विधान का नमूना चाहिए तो कॉग्रेस का विधान ले लीजिए। इसे मेरी घृष्टता भले ही कहें। पर मेरी कल्पना के अनुसार तो ग़रीब और अमीर दोनों एक झंडे की सलामी करते है। पंच कहे सो परमेश्वर ! इसलिए हमारे यहाँ के भलेमानस हिन्दुस्तान को जानने वाले करोडों मनुष्य जैसा तन्त्र चाहते हों वैसे की हमे जरूरत है। यह राजनैतिक है। इसमें एक आदमी के नहीं, बल्कि लव का राज्य होगा। मैं समाजवादी भाइयो से कहूँगा कि हमारे यहाँ तो - सभी भूमि गोपाल की, बा मे अटक कहाँ ? जाके मन मे अटक है, नोई अटक रहा । इस सूत्र को युगों से मान रहे है। इसलिए यह भूमि ज़मींदार की नहीं, मिल-मालिक की नहीं, या ग़रीब की नहीं, यह तो गोपाल की है - जो गायों का पालन करता है उसकी है। गोपाल तो ईश्वर का नाम है, इसलिए यह भूमि तो उसकी है। हमारी तो कही ही नहीं जा सकती। यह न ज़मींदार की है और न मेरे जैसे लंगोटिये की। यह शरीर भी हमारा नहीं, ऐसा साधु-सन्तों ने कहा है। यह शरीर नाशगन् है, केवल एक आत्म हो रहनेवाली हैं। यह सञ्चा] समाजवाद है। इसपर हम अमल करने लग जायँ, तो हमे सब-कुछ मिल गया । इस सिद्धान्त का अनुकरण करनेवाला आज कोई ढीख नहीं रहा है, तो इसमें सिद्धान्त का दोष नहीं, दोप हमारा है। मैं इसकी व्यावहारिकता बिल्कुल शक्य मानता हूँ ।
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शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। शिक्षण संस्थानों को अब छात्रों के मानसिक सेहत का ख्याल रखना होगा जरूरी होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को इस मुद्दे पर आयोजित उच्चस्तरीय समिति की समीक्षा बैठक में कहा कि शिक्षा मंत्रालय जल्द से जल्द मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करें, ताकि शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके लिए शिक्षण संस्थानों को शिकायत प्रकोष्ठ बनाने होंगे और अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गयी है। दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को मानसिक तनाव से उबारने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का मसौदा तैयार कर लिया है। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री ने बैठक में छात्रों को मानसिक तनाव से बचाने और शिक्षण संस्थानों में भेदभाव बर्दाश्त न करने की नीति को लेकर मंथन किया गया। बैठक में स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग, सीबीएसई, एआईसीटीई, यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एक प्रभावी शिकायत प्रकोष्ठ बनाया जाए, जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो। इसका मतलब है कि यदि कोई इन विषयों पर शिकायत करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई करने के साथ छात्रों को न्याय सुनिश्चित हो। इसमें उन्होंने ऑनलाइन सुझाव भी आमंत्रित किये हैं, ताकि नीति बनाने से पहले उसमें समय की मांग के तहत सभी पहुलओं को शामिल किया जा सके। शिक्षामंत्री ने कहा कि दिशानिर्देर्शों में छात्रों को लैंगिक भेदभाव, समाज में सभी को एक मानने का भाव, आपसी प्रतिस्पर्धा, शारीरिक रूप से सक्षम बनाने आदि के भाव को शामिल करने पर जोर होगा। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क में छात्रों को किसी भी तरह के खतरे या हमले, सामाजिक भेदभाव, छात्रों के बीच आत्मविनाशाकारी प्रवृत्ति रोकने के उपाय किये जाएंगे। शिक्षा मंत्रालय छात्रों की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने शैक्षणिक तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए हैं। इनमें सहपाठियों की सहायता से सीखना, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत, छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए मनोदर्पण पहल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रोकथाम, पहचान और उपचारात्मक उपायों पर दिशानिर्देश आदि शामिल हैं। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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Quick links: ऑपरेशन बिकाऊ सांसद में रिपब्लिक भारत की टीम आपको वह सच दिखाने जा रहा जिसे देख कर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। लोकतंत्र के मंदिर को पैसा लेकर खोखला करने वाले सांसद का सच। हम दिखाएंगे कि आखिर जनता के भरोसे का खून करने के लिए सांसद किस हद तक गिर सकते हैं। बिकाउ सांसदों की कलंककथा के दूसरे भाग में रिपब्लिक भारत की एसआईटी टीम की मुलाकात हुई जालंधर से कांग्रेस पार्टी के सांसद संतोख सिंह चौधरी से। पंजाब में जालंधर की पहचान कपड़ों के साथ साथ खेल से भी जुड़ी है। लेकिन सत्ता के गलियारों में बैठने वाले जिस तरह का खेल खेलते हैं उसकी उम्मीद यहां के लोगों को नहीं होगी । इनसे मिलिए लोकतंत्र की व्यवस्था के हिसाब से ये यहां की जनता के सेवक यानी सांसद है, जनता के मददगार और प्रतिनिधि है। लेकिन उनकी हरकत इससे मेल बिल्कुल नहीं खाती है। क्योंकि उनके दिल में मंसूबे कुछ और हैं. संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- ऐसा है ये कॉंट्रेक्ट बगैरह है ना ये सारे हो गए है डिजिटल। ये ऑनलाइन हो गया है सब, तो इसमें कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है। ये रिस्की हो गया है काम। रिपोर्टर- ऐसे तो बिडिंग में कोई फायदा ही नहीं होता है। संतोख सिंह चौधरी, सांसद, कांग्रेस- वहीं तो मैं कह रहा हूं। तो मतलब ये थोड़ा मुश्किल है। जो पहले था ना कोटा सिस्टम, कॉन्ट्रेक्ट। ये अब बड़े मुश्किल है। रिपोर्टर- कैश फ्लो भी खत्म। रिपोर्टर- नहीं कैश फ्लो तो हो रहा होगा। कांग्रेसी सांसद संतोख सिंह चौधरी - एक ये डिमोनिटाइजेशन है उसकी वजह से किसी के पास कोई पैसे नहीं है। रिपोर्टर- क्या बात कर रहे है, ऐसा है क्या। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां। रिपोर्टर- तो ये सर सबकी हालत ऐसी है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- सबकी, किसी के पास पैसा नहीं है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- जो बहुत नम्बर दो का काम करते है,उनके पास पैसा होगा कोई। स्मग्लिंग गैंग, जो स्मग्लिग करते है। जो ड्रग की स्मग्लिंग करते है, उनके पास पैसा है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां खत्म...जिनके पास पहले इक्ठ्ठा किया हुआ हो। सांसद संतोख सिंह चौधरी- मोदी के किसी एमपी का कोई काम नहीं होता है। मोदी के....जो बीजेपी के एमपी थे, उनसे ज्यादा हम डरा के काम ले लेते थे। मिनिस्टर को डरा कर, ये करना है। तो उनका कोई काम नहीं हो रहा है। वहां सिर्फ मोदी शाह है। रिपोर्टर- तो डिमोनिटाइजेशन का फर्क पड़ा। सांसद संतोख सिंह चौधरी बहुत ज्यादा फर्क पड़ा। रिपोर्टर- दो-चार लोग जुड़े है मेरे साथ, अगर आप बोलेंगे तो मैं जोड़ता हूं उन्हे आपके साथ। कुछ पोलिटिकल फंडिंग भी हो जाएगी। कुछ उनके काम बगैरह...जब आप सत्ता में आओ तो, आप उनके काम करवा दो। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हां हा। बताओं...मिला दो। रिपोर्टर- ठीक है सर। रिपोर्टर- सर हम यहीं चाह रहे थे कि कुछ हम भी कमा ले, कुछ वो भी कमा लेंगे..कुछ फायदा आपका भी हो जाएगा। सांसद संतोख सिंह चौधरी- कोई बात नहीं। सरकार यूपीए की बननी है। रिपोर्टर- जैसा आप बता रहे है कैश बगैरह की दिकक्त है। कैश बगैरह भी चाहिए तो मुझकों बता दीजिएगा। रिपोर्टर- नहीं सर लोग है अपने। दिल्ली में नहीं बाहर है। आप बोलेंग तो एविलेवल करवा देंगे। सांसद संतोख सिंह चौधरी- ओके चलों ठीक है। इलेक्शन में। रिपोर्टर- उनका भी क्या है सर, जो हमारे क्लाइंट है उनके लिए भी इनवेस्टमेंट है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- हा वो इनवेस्टमेंट ही होती है। रिपोर्टर- हां जब आप आएंगे तो वो कहेंगे। उनका फेवर...चार काम हो जाते है। सांसद संतोख सिंह चौधरी- नेचुरली। तो आपने देखा पोलिटिकल फंडिंग को इनवेस्टमेंट मानने वाले संतोख सिंह चौधरी, हमारे फायदे के हिसाब से काम करने के लिए तैयार दिखे। यानि की पैसा दो काम करवाओं.... क्या यही है देशहित,, क्या यही है राष्ट्र के लिए काम करना । क्या ही है एक सांसद का कर्तव्य, क्या यही है एक एमपी से अपेक्षा, ...ऐसे बिकाऊ सांसद के साथ क्या हो सलूक.. पूछता है भारत ।
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विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची गुरुवार को बरेली पहुंचीं. यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की. कहा कि मुस्लिम लड़कियां हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. इससे उन्हें बुर्का और हलाला से भी छुटकारा मिल जाएगा. इसके अलावा साध्वी ने पश्चिम बंगाल और बिहार में रामनवमी के मौके पर हुए दंगे के लिए सीएम ममता और नीतीश को जिम्मेदार ठहराया. दोनों राज्यों में उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. विहिप नेता साध्वी प्राची ने बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की ओर से साईं बाबा पर दिए बयान का समर्थन किया. साध्वी प्राची ने बरेली के सर्किट हाउस में मुस्लिम लड़कियों को खुला ऑफर दिया. कहा कि मुस्लिम लड़कियों को हिंदू लड़कों से शादी कर लेनी चाहिए. शादी करने के बाद उनकी जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी. घर वापसी के सवाल पर कहा कि इसके लिए सबसे पहले श्रद्धानंद जी ने शुद्धिकरण आंदोलन चलाया था. कुछ लोग डर से तो कुछ लोगों ने तलवार के डर से काला लिबास पहन लिया था. अब घर वापसी व्यापक रूप में हो रही है. साध्वी प्राची ने कहा कि मुस्लिम बेटियां काले लिबास में पूरे दिन तपती गर्मी में रहती हैं. वे हिंदू लड़कों से शादी कर लें तो कई सुविधाएं मिलेंगी. इससे किसी ममेरे ,चचेरे और फुफेरे से उनका रिश्ता नहीं हो सकेगा. हिंदुओं में सात जन्मों का बंधन होता है. साध्वी प्राची ने कहा कि बिहार और बंगाल के अंदर जो दंगा हुआ है, उस पर अफसोस है. सीएम नीतीश बाबू खजूर खा रहे हैं, रोजा इफ्तारी कर रहे हैं. दंगे में कौन मर रहा है, कौन घायल हो रहा है, इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं है. इन दोनों प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए . सीएम ममता बनर्जी के बयान पर कहा कि आज तक पथराव किस मुस्लिम के घर पर हुआ है, ममता बनर्जी यह बता दें. पथराव होता है तो हिंदुओं पर होता है , पथराव होता है तो सैनिकों पर होता है. ममता बनर्जी भ्रम में जी रहीं हैं. बंगाल की स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि एक दौर ऐसा आएगा जब ममता ही सुरक्षित नहीं रहेंगीं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के 'सभी लोग राम-राम कहेंगे' वाले बयान पर कहा कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है, था और रहेगा. सब श्रीराम के पूर्वज हैं, डीएनए करा लीजिए. साईं बाबा के भगवान न होने के सवाल पर साध्वी ने कहा कि वह पीर-फकीर हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं है. वह चांद मियां थे. उन्होंने साईं बाबा पर दिए बयान पर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया.
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Meerut । शहर सर्राफा बाजार बंद होने को लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। सर्राफा व्यापारियों ने डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने बाजार खोलने की मांग की है। मगर प्रशासन ने बाजार बंद करने के स्पष्ट आदेश दे रखे हैं। ऐसे में आज सर्राफा व्यापारी अपना विरोध जताएंगे। वहीं संयुक्त व्यापार संघ नवीन गुप्ता गुट भी आज इस मामले में कूद सकता है। दरअसल, शहर सर्राफा बाजार में हाल ही में एक कोरोना का मरीज मिला था। जिसके बाद बुधवार को पूरा बाजार बंद करा दिया गया था। सीओ कोतवाली ने सेनेटाइजेशन कराने के लिए बाजार बंद किया था। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट सत्येंद्र सिंह ने आदेश जारी कर दिया था कि अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। ऐसे में गुरुवार को एक बार फिर सर्राफा व्यापारियों ने सीओ से बातचीत की और पत्र भी लिखा लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। जिसको लेकर सर्राफा व्यापारियों में आक्त्रोश है। आज व्यापारी एकत्र होकर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। पहले भी व्यापारी बाजार खुलवाने को लेकर पुलिस और प्रशासन का विरोध कर चुके हैं। व्यापारी नेता विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि जहां पर मरीज मिला है उससे कुछ मीटर का एरिया सील किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि पूरा बाजार बंद कर दिया जाए। व्यापारी अपने हित की लड़ाई लड़ेगा। अभी बाजार खोलने की अनुमति नहीं है। अग्रिम आदेशों तक बाजार बंद रहेगा। सिटी मजिस्ट्रेट आउट ऑफ स्टेशन हैं। देर रात या शुक्त्रवार को आएंगे, जिसके बाद ही बाजार के बारे में फैसला लिया जाएगा।
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रस और सोदर्य ही पाते है, सीन्दर्य जितना ही देखते हैं, उतनी ही हृदय मे अभावप्रतीति और भी अधिक जाग उठती है। देखकर भी देखने की साध किसी तरह भी मिटती नही, मालूम होता है यह अपूर्ण है। जभी अपूर्ण समझते है तभी सीमा आँखो के सामने दिखाई देती है, तभी अनजाने में हृदय रो उठता है । सोचते हैं और भी - ओर भी आगे जायँ, सभवत सुदूर भविष्य में किसी न किसी दिन उसे आयत्त कर सकेंगे। किन्तु हाय मोह । यह समझ नहीं पाते है कि काल-प्रवाह मे इस आकाङ्क्षा की तृप्ति हो नही सकती । आनन्द चाहे जितना ही क्यो न बढे, सौन्दर्य चाहे जितना ही छल्छला उठे, तृप्ति तत्र भी बहुत दूर की वस्तु है, क्योकि और भी विकास हो सकता है एव कभी भी इस नमविकास की सम्भावना दूर होगी नहीं । इससे ज्ञात हो जायगा कि हृदय जिसकी आकाङ्क्षा करता है वह ससीम सौन्दर्य अथवा परिमित आनन्द नही है । यदि ऐसा होता तो एक न एक दिन क्रमविकास से उसकी तृप्ति हो जाती । वस्तुत. यह असीम सौन्दर्य, अनन्त प्रेम, निरवच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य का सम्भोग पहले हुआ है, इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य की आकाङ्क्षा होती है, विच्छिन्न ( खण्ड ) सौन्दर्य से तृष्णा मिटती नही । जिसका विरह है, उसे पाये विना व्याकुलता का अवसान हो नहीं सकता । इसलिये प्रश्न रह गया कि यह पूर्ण सौन्दर्य कब मिला था ? हम पहले देख चुके हैं कि कालनम से इस पूर्ण सकते; करोड़ों कल्पो मे भी हम ऐसा सौन्दर्य पायेंगे नहीं जिससे हो न सके, अर्थात् काल के मध्य मे पूर्ण सौन्दर्य का विकास हो में जो विकास होता है वह क्रमविकास है । इस क्रम का अन्त नहीं है । और भी अधिक, और भी अधिक हो सकता है - किन्तु कभी भी पूर्णता होनी नहीं । यदि यह सत्य है तो यह भी सत्य है कि काल में कभी इसकी अनुभूति भी होती नहीं । अर्थात् हम जिस सौन्दर्य की अनुभूति हुई है, वह कोई सुदूर अतीत में नहीं है, किसी दिगन्तस्थित नक्षत्र में नहीं है अथवा किसी विशिष्ट काल या देश में नहीं है । अतएव एक प्रकार से यह प्रश्न ही अनुपपन्न है। किन्तु घूम फिर कर प्रश्न फिर भी होता है । परस्पर विरुद्ध होने पर भी यह सत्य है कि इस सौन्दर्य का आस्वादन जब हमे हुआ था तब काल नहीं था - जहाँ हमने इसका आस्वादन किया था वहाँ देश नहीं था । वह हमारी 'योग' अवस्था अथवा मिल्न था । उसके बाद वर्तमान अवस्था 'योगनश' अथवा विरह है। फिर उस योग में जाने के लिये हम छटपटा रहे हैं, पुनमिल्न चाहते है। अर्थात् हम देश और काल में निर्वासित हुये है । फिर देश काल को छिन्न भिन्न कर, विलीन कर वैसे ही योगयुक्त होना चाहते है । किन्तु यह वियोग क्या अत्यन्त वियोग ह ? पूर्ण ने विच्छेद क्या सचमुच इतना वालविक है? नहीं, यह बात नहीं है। वियोग सत्य दें, विच्छेद त्वीकार्य हैकिन्तु उस वियोग के मूल मे भी नित्य योग खोया नहीं है, वह कभी न्योता नहीं है । यदि सो गया होता, तो यह वियोग चिर वियोग हो जाता, पिर लेटने की सम्भावना नहीं रहती। यह जो आकाङ्क्षा है, यह जो ससीम अतृप्ति है, यह बतला रही है कि असीम के साथ योग एकदम टूटा नहीं है । स्मृति है - इसी लिये योग है । वह योग, वह अनुभूति अस्पष्ट है, यह हम स्वीकार करते है, किन्तु वह है अवश्य । यदि यह अनुभूति - यदि पूर्ण का यह आस्वादन न रहता तो सौन्दर्य का कोई मानदण्ड न रहता । मान के बिना तुलना करना सम्भव न होता । जब हमे दो फूले हुये फूलो को देख कर किसी समय एक दूसरे की अपेक्षा सुन्दर जॅचता है, तब अनजाने मे सौन्दर्य के मानदण्ड का हम प्रयोग करते है । जहाँ तारतम्य का बोध होता है वहाँ निश्चय ही मान के न्यूनाधिक्य की निर्णायक उपाधि रहती है। प्रकृत स्थल में चित्तस्थित पूर्ण सौन्दर्य की अस्पष्ट अनुभूति अथवा अनुभवाभास ही बाह्य सौन्दर्य के तारतम्य का बोधक निमित्त है । अर्थात् बाहर की वस्तुओ को देखकर उनमे जो पूर्ण सौन्दर्य का जितना अधिक निकटवर्ती प्रतीत होता है वह उतना सुन्दर लगता ! सौन्दर्य का विकास जैसे क्रमिक है यह सन्निकर्ष भी वैसे ही क्रमिक है। बाहर में जैसे पूर्ण विकसित सौन्दर्य का कभी सम्भव नही वैसे ही सन्निकर्ष की इस चरमावस्था का अर्थात् एकीमाव का भी सम्भव नहीं है । देश और काल मे जब पूर्ण सौन्दर्य प्राप्त नहीं होता एव वृत्तिज्ञान जब देश और काल की सीमा में बॅधा रहता है तब पूर्ण सौन्दर्य वृत्ति के निकट प्रकाशित नहीं हो पाता, यह बात सत्य है । बल्कि वृत्ति पूर्ण सौन्दर्य की प्रतिबन्धक है । सौन्दर्य का जो पूर्ण आस्वाद है, वृत्ति रूप में वही विभक्त हो जाता है। वृत्ति से जिस सौन्दर्य का बोध होता है वह खण्ड सौन्दर्य है, परिच्छिन्न आनन्द है। पूर्ण सौन्दर्य स्वय ही अपने को प्रकट करता है, उसे अन्य कोई प्रकट नहीं कर सकता। वृत्ति के द्वारा जो सौन्दर्य-बोध का आभास प्रस्फुटित होता है वह सापेक्ष, परतन्त्र, क्रम से बढ़ने वाला और काल के अन्तर्गत है । पूर्ण सौन्दर्य उससे विपरीत है । इस पूर्ण सौन्दर्य की छाया लेकर ही खण्ड सौन्दर्य अपने को प्रकट करता है । तब क्या पूर्ण सौन्दर्य और खण्ड सौन्दर्य दो पृथक् वस्तुऍ हैं ? नहीं, ऐसा नही । दोनों वास्तव में एक है । लेकिन इस वियोगावस्था मे दोनो को ठीक एक कहना सम्भव नहीं है। मालूम पडता है दो पृथक् हैं। यह जो दो का अनुभव होता है, इसी के भीतर वियोग की व्यथा छिपी हुई है। इसको जोर जबरदस्ती से एक नहीं किया जा सकता । किन्तु फिर भी सत्य बात यह है कि दोनो ही एक हैं। जो सौन्दर्य बाहर है वही अन्दर है, जो खण्ड सौन्दर्य होकर इन्द्रिय-द्वार मे वृत्ति रूप से विराजमान होता है, वही पूर्ण सौन्दर्य-रूप में अतीन्द्रिय भाव से नित्य प्रकाशमान है। गुलाब का जो सौन्दर्य है वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है, शिशु के प्रफुल्लित मुखकमल में जो शोभा है, वह भी वही पूर्ण सौन्दर्य है- जिसे जब जहाँ जिस रूप से जिस किसी सौन्दर्य का बोध हुआ है, वह भी वह पूर्ण सौन्दर्य ही है। यहाॅ प्रश्न उठ सकता है कि सभी यदि पूर्ण सौन्दर्य है एव पूर्ण सौन्दर्य यदि सभी का आस्वादित और आस्वाद्यमान है तो ऐसी स्थिति मे फिर सौन्दर्य के लिये आकाङ्क्षा क्यों होती है ? बात यह है, पूर्ण सौन्दर्य का बोध अस्पष्टरूप से सभी को है। किन्तु अस्पष्टता ही अतृप्ति की हेतु है । इस अस्पष्ट को स्पष्ट करना ही तो सब चाहते है। जो छाया है उसे काया देने की इच्छा होती है। वृत्ति द्वारा इस अस्पष्ट का स्पष्टीकरण होता है, जो छाया के तुल्य था वह मानो स्पष्ट रूप से भास उठता है । भासित हो उठता है सही, किन्तु खण्डरूप से । इसी लिये वृत्ति की सहायता से स्पष्ट हुए सौन्दर्य का साक्षात्कार होने पर भी, खण्ड होने से, ससीम होने के कारण उससे तृप्ति परिपूर्ण नही होती । वृत्ति तो अखण्ड सौन्दर्य को पकड नही सकती । अखण्ड सौन्दर्य के प्रकाश में वृत्ति कुण्ठित हो जाती है। में इसी बात को और स्पष्टरूप से कहते हैं। कल्पना कीजिये, एक खिला गुलाब का फूल हमारी दृष्टि के सामने पडा है, उसके सौन्दर्य ने हमे आकृष्ट किया हैउसका सुन्दररूप मे हम अनुभव कर रहे है। इस अनुभव का विश्लेषण करने पर हमारे हाथ क्या लगता है ? यह सौन्दर्य कहाँ है ? यह क्या गुलाब मे है, अथवा हममें है अथवा दोनों में है। इस अनुभव का स्वरूप क्या है ? आपातत. यही प्रतीत होता है कि यह केवल गुलाब मे नहीं है। यदि वहीं होता तो सभी गुलाब को सुन्दर देखते। किन्तु सब उसे सुन्दर देखते नहीं। और यह केवल हममे अर्थात् द्रष्टा में है यह कहना भी ठीक नहीं है। यदि ऐसा होता तो हम अर्थात् द्रष्टा मत्र वस्तुओं को सुन्दर देखते, किन्तु हम सभी को सुन्दर देखते नही । इसलिये मानना होगा कि इस अनुभव के विश्लेषण से सिद्धान्त होता है कि वर्तमान क्षेत्र में जब वृत्ति द्वारा बोध हो रहा है तत्र सौन्दर्य खण्डित सा हुआ है, एक ओर अस्पष्ट है अथ च पूर्ण सौन्दर्य है, जो हममे है, दूसरी हममे है, दूसरी ओर स्पष्ट अथ च खण्ड सौन्दर्य है, जिसे हम गुलाब मे देख रहे हैं। किन्तु यथार्थ रस- स्फूर्ति के समय ऐसा रहता नहीं। तब सौन्दर्य द्रष्टा में नहीं रहता, गुलाब मे भी नहीं रहता । द्रष्टा और गुलाब तब एकरस साम्या - वस्थापन्न हो जाते हैं, केवल सौन्दर्य ही, स्वप्रकाशमान सौन्दर्य ही तब रहता है। यही पूर्ण सौन्दर्य है, जिसमे भोक्ता और भोग्य दोनों ही नित्यसम्भोगरूप से विराजमान रहते हैं । वृत्ति द्वारा सौन्दर्योपलब्धि किसे कहते है ? जब किसी विशिष्ट वस्तु का हम प्रत्यक्ष करते हैं, तब वह वस्तु हमारे चित्त में स्थित आवरण को धक्का देकर थोडा बहुत हटा देती है। चित्त पूर्ण सौन्दर्यावभासमय है, किन्तु यह अवभास आवरण से ढका होने से अस्पष्ट है। किन्तु सर्वधा ढका नहीं है, न हो ही सकता है। मेघ सूर्य को ढक्ता है, किन्तु एकबारगी टक नहीं सकता। यदि एकबारगी ढकता तो मेघ स्वयं भी प्रकाशित न होता । मेव जो मेघ है, वह भी वह प्रकाशमान होने से है, इसलिये वह सूर्यालोक की अपेक्षा रखता है। उसी प्रकार आवरण चित्त को एकबारगी टक नहीं सकता । चित्त को ढकता है, किन्तु आवरण का भेद करके भी ज्योति का स्फुरण होता है। इसी लिये पूर्ण सौन्दर्य, आवरण के प्रभाव से, अस्पष्ट होने पर भी एक्कारगी अप्रकाशमान नहीं है । जहाँ चित्त है वही यह बात लागू होती है। पर अस्पष्टता का तारतम्य अवस्य है। यह जो आवरण के कारण अस्पष्टता है आवरण के हटने पर वह भी सटता में बदल जाती है। आवरण के तनिक हटने पर जो सता दिखती हैं वह किञ्चित् मात्र है। घर के झरोखे के छिद्र से अनन्त आकाश का जैसे एकदेशमात्र दिखलायी देता है आशिक रूप से आवरण हटने पर उसी प्रकार पूर्ण सौन्दर्य का एकदेशमात्र ही प्रकाशित होता है । यह प्रकाशमान एकदेश ही खण्ड सौन्दर्य के नाम से प्रसिद्ध है। यह आशिक आवरणनाश ही वृत्तिज्ञान है । इसलिये जो गुलाचे का सौन्दर्य है वह भी पूर्ण सौन्दर्य ही है, पर एक एकदेशमात्र है। इसी प्रकार जगत् का सम्पूर्ण सौन्दर्य ही उस पूर्ण सौन्दर्य का एकदेश है। आवरणभङ्ग के 'तारतम्य वश उद्घाटित सौन्दर्य के तारतम्य अथवा वैशिष्ट्य का निरूपण होता है। किन्तु आवरणभङ्ग के वैशिष्ट्य का नियामक क्या है ? आपाततः यह बाह्य पदार्थ के स्वरूप में स्थित वैशिष्ट्य के रूप से हीं गृहीत होगा। किन्तु हम आगे देखेंगे कि यही अन्तिम बात नहीं है, इसलिये आवरणभङ्ग का भेद, जो स्वाभाविक है, वह इस अवस्था मे कहा नहीं जा सकता । आपाततः कहना ही होगा कि आगन्तुक कारण के वैचित्र्य वश आवरण के हटने पर भी वैचित्र्य रहता है । स्फटिक के समीप नील वर्ण की स्थिति से स्फटिक नीला प्रतीत होता है और पीत वर्ण की स्थिति से पीला प्रतीत होता है यह आगन्तुक कारणजन्य भेद का दृष्टान्त है । चक्षु के निकटस्थित घट में घटाकार वृत्ति एव पट मे पटाकार वृत्ति चित्त धारण करता है, यह भी आगन्तुक भेद है । ठीक उसी प्रकार फूल के सौन्दर्य और लता के सौन्दर्य दोनो मे अनुभव का भेद जानना होगा। फूल के सौन्दर्यास्वाद की जो वृत्ति है, लता के सौन्दर्यास्वाद की वृत्ति उससे विलक्षण है, इसका कारण आगन्तुक है । फूल और लता का वैशिष्ट्य जैसे सत्तागत है वैसे ही ज्ञानागत भी है, फिर आखादगत भी है। इसलिये स्वीकार करना होगा कि फूल और लता मे ऐसा विशिष्ट कुछ है जिससे एक एक प्रकार की सौन्दर्यानुभूति का उद्दीपक है, दूसरा दूसरी प्रकार की । किन्तु यह आपेक्षिक सत्य है । बाह्य पदार्थ यदि परमार्थतः नहीं रहते अथवा जिस अवस्था मे नही रहते तब अथवा उस अवस्था मे बाह्य पदार्थ के स्वरूपगत वैशिष्ट्य के द्वारा रसानुभूति के वैचित्र्य का उपपादन नही किया जाता । सत्ता जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल और लता खण्डसत्ता है, ज्ञान जैसे एक और अखण्ड होने पर भी फूल का ज्ञान और लता का ज्ञान अर्थात् फूलरूप ज्ञान और लतारूप ज्ञान परस्पर विलक्षण हैं वैसे ही सौन्दर्य एक और अखण्ड होने पर भी फूल का सौन्दर्य और लता का सौन्दर्य अर्थात् फूलरूप सौन्दर्य और लतारूप सौन्दर्य परस्पर भिन्न है। इस जगत् मे दो वस्तुऍ टीक एक नहीं है । प्रत्येक वस्तु का एक स्वभाव है, एक व्यक्तित्व है, एक विशिष्टता है जो दूसरी वस्तु मै नही होती । यदि यह सत्य है, तो खण्ड सत्ता जैसे अनन्त संख्या में तथा प्रकार मे, खण्ड जान भी वैसे ही अनन्त है, खण्ड सौन्दर्य भी वैसे ही अनन्त है । किन्तु जो सत्ता है वही तो ज्ञान है, क्योंकि प्रकाशमान सत्ता ही ज्ञान है और अप्रकाशमान सत्ता आलोक है। फिर जो ज्ञान है वही आनन्द है, क्योंकि अनुकूल ज्ञान हो, भला लगना ही आनन्द या सौन्दर्यबोध है और प्रतिकूल ज्ञान ही दुख या कढर्यता है । सत्ता जब ज्ञान होती है तत्र वह नित्यज्ञान है आर ज्ञान जब आनन्द होता है, तब वह नित्य सवैद्यमान आनन्द है । यह नित्य सवेग्रमान
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ताज महल पर चल रहे विवादों के बीच हरियाणा के विज्ञान और तकनीकी मंत्री ने भी इस एतिहासिक स्मारक पर अपनी राय दी है और इसके एक खूबसूरत कब्रिस्तान बताया है। अनिल विज ने ट्वीट कर लिखा, 'ताज महल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है। ' अनिल विज का कहना है कि ताज महल चाहे कितना भी सुंदर क्यों ना हो लेकिन लोग ताज महल के मॉडल को घर में रखना अपशगुन मानते हैं क्योंकि यह एक कब्र है। अनिल विज पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। अनिल विज ने राम रहीम को सजा सुनाने के बाद हिंसा में मारे गये लोगों को मुआवजा देने की पैरवी की थी। इसके अलावा वो करेंसी से गांधी की तस्वीरों को हटाने के भी हिमायती हैं। बता दें कि यूपी से बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताज महल को भारतीय संस्कृति और इतिहास पर एक 'धब्बा' करार दिया था। मेरठ के सधरना से विधायक संगीत सोम ने कहा था, "बहुत सारे लोग इसलिए निराश थे कि ताज महल को उत्तर प्रदेश की पर्यटन पुस्तिका से हटा दिया गया। हम किस इतिहास की बात कर रहे हैं? कौन सा इतिहास? ताज महल बनवाने वाले (शाहजहां) ने अपने पिता को जेल में डाल दिया था। वह भारत से सभी हिंदुओं को मिटा देना चाहता था। अगर ऐसे लोग हमारे इतिहास का हिस्सा हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। " उन्होंने यह भी बताया था कि उत्तर प्रदेश सरकार अकबर, बाबर और औरंगजेब जैसे कलंक कथा लिखने वाले बादशाहों को भी इतिहास से निकालने की तैयारी कर रही है। #ताजमहल एक खूबसूरत कब्रिस्तान है । ताज महल विवाद में दखल देते हुए फायर ब्रांड बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा था कि ताज महल हिन्दू देवता भगवान शिव का मंदिर है। इसे सैकड़ों साल पहले तेजो महल के नाम से जाना जाता था लेकिन मुगल राजा शाहजहां ने इसे ताज महल में बदल दिया था। विनय कटियार ने बताया, 'ताजमहल हिन्दू मंदिर है। जिसको तेजो महल कहा जाता था। इतिहासकार पीएन ओक की एक किताब भी ऐसा ही कहती है। शाहजहां ने इस जगह पर अपनी पत्नी को दफनाने के बाद इसे मकबरे में बदल लिया था। ताज महल पर इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे पर्यटन स्थलों की सूची से बाहर कर दिया था। बता दें कि ताज महल पर बढ़ते विवाद को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ये स्मारक भारत माता के सपूतों की खून पसीने की कमाई से बना है और इसका संरक्षण किया जाना चाहिए।
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कोलकाता : इंसान जितने खिलवाड़ अपने शरीर के साथ करता है, उतने शायद ही किसी दूसरे के साथ कर पाए। ऐसा माना जाता है कि इंसान का जिंदगी भर साथ देने वाली अगर कोई चीज है तो वह उसका शरीर है। लेकिन इंसान अपने शरीर के अंदर खराब खाद्य सामग्री को डालकर उसे विनाश की ओर ले जाता है। हमारे आस पास ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जो किसी स्लो पॉइजन से कम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग इनका सेवन धड़ल्ले से करते हैं। इन्हीं में से एक है व्हाइट ब्रैड। भारत समेत दुनियाभर में बहुत से लोग सुबह की शुरुआत व्हाइट ब्रेड के साथ ही करते हैं, जो खाने का एक बहुत खराब विकल्प है। अगर आप भी अपनी रोजाना की डाइट में व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, तो इसे आज ही छोड़ने का फैसला कर लें। वरना बहुत देर भी हो सकती है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों व्हाइट ब्रेड का सेवन आपको नहीं करना चाहिए। सफेद ब्रेड को तैयार करने के लिए गेहूं के आटे का ही उपयोग किया जाता है। लेकिन ब्रेड को बनाते समय इसे बहुत अधिक महीन पीसा जाता है, और इस प्रक्रिया के जरिए सभी विटामिन और पोषक तत्वों को पूरी तरह हटा दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ब्रेड जैसे उत्पाद को लंबे समय तक ताजा और खाने योग्य रखा जा सके। आपको बता दें कि ब्रेड में इस्तेमाल होने वाले आटे के सभी पोषक तत्व और ऑयल निकालने के बाद ब्लीच किया जाता है। ताकि यह लंबे समय तक खराब हुए बिना चलता रहे। साथ ही इसमें पोटैशियम ब्रोमेट, एज़ोडिकार्बोनामाइड या क्लोरीन डाइऑक्साइड गैस जैसे रसायनों का भी उपयोग किया जाता है ताकि इसके प्राकृतिक पीले रंग को भी हटाया जा सके। इसका परिणाम यह होता है कि जो भी लोग व्हाइट ब्रेड का सेवन करते हैं, उन्हें डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। इसके अलावा ब्रेड में मिलाए जाने वाले कई पर्सवेटिव्स भी मिलाए जाते हैं ताकि यह लंबे समय तक ताजी ही रहे। व्हाइट ब्रेड का सेवन करने से आप यकीनन मोटापे का शिकार हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेड के निर्माण की प्रक्रिया में ही कई तरह के रसायन, प्रिजर्वेटिव और चीनी का उपयोग किया जाता है। कुल मिलाकर सफेद ब्रेड एक हाईली रिफाइंड उत्पाद है, यह इतनी खतरनाक है कि इसमें मौजूद ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। यही नहीं सफेद ब्रेड के सेवन से कब्ज, पेट फूलने जैसी समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं।
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सच्चा मित्र सेठ-मैंने न तो कभी छदाम दो है, नली है। आपके प्रधान होने के नाते और मनुष्यता के नाते उनसे मेरी मित्रता है । मित्रता भी ऐसी है कि उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं छिपाई । राजा - अच्छा देखो, प्रधान ने इतना हजम कर लिया है । सेठ - ऐसा कहने वालों ने गलती की है । फलां वही मंगवाकर देखिए तो समाधान हो जायगा । वही मँगवाकर देखी गई । राजा ने पाया कि वास्तव अभियोग निराधार है । इसी प्रकार और दो-चार बातों की जाँच की गई । सव ठीक पाया गया । सेठजी वीच-बीच में कह देते थेइतनी भूल प्रधानजी से अवश्य हुई है और वे इसके लिए मेरे सामने पश्चाताप भी करते थे । आपसे भी कहना चाहते थे, मगर शायद लिहाज के कारण नहीं कह सके । राजा - प्रधान ने पश्चाताप भी किया था ? मगर इतने बड़े काम में भूल हो जाना संभव है । वास्तव में मैंने प्रधान के साथ अनुचित व्यवहार किया है, किन्तु अद तो उसका मिलना कठिन है ? कौन जाने कहाँ चला गया होगा ? सेठ - अगर आप उनके सम्मान का वचन दें तो मैं ला सकता हूँ । राजा - क्या प्रधान तुम्हारी जानकारी में है ? सेठ - जी हाँ । मगर विना अपराध सिर कटाने के लिए मैं उन्हें नहीं ला सकता । आप न्याय करने का वचन दें तो हाजिर कर सकता हूँ । राजा~मैं वचन देता हूँ कि प्रधान के गौरव की रक्षा की जायगी। यही नहीं, वरन् चुगलखोरों का मुँह काला किया जायगा । सेठ --- महाराज अपराध क्षमा करें । प्रधानजी मेरे घर पर हैं । राजा -- सारे नगर में उनकी बदनामी हो गई है । उसका परिमार्जन करने के लिए उनका सत्कार करना चाहिए । मैं स्वयं उन्हें लिवाने चलूंगा और आदर के साथ हाथी पर बिठाकर ले आऊँगा ।
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आ गई । लेकिन विवाह होने के बाद ही लड़का बीमार हो गया । उसके बाप ने उसे बचाने का भरसक यत्न किया, लेकिन उसकी बीमारी बढ़ती ही गई और वह मरणासन्न हो गया। उसका बाप रोने लगा तो बेटे ने कहा कि अब क्यों रोता है ? मैं वही ठाकुर हूँ जिसके पाँच हजार रुपये तूने मार लिये थे । जितने रुपये तूने मेरी बीमारी पर लगा दिये हैं उतने छोड़कर शेष रुपये मेरे बच्चों को भेज दे, अन्यथा फिर अगले जन्म में तुझसे शेषरुपये वसूल करूंगा । तब उसके बाप ने कहा कि मैंने तो तुम्हारे रुपये मारे थे, लेकिन इस बेचारी बहू ने तेरा क्या बिगाड़ा था जो इसे यों दुःख देकर जा रहा है । तब लड़का बोला कि यह इसी काबिल है, यह दुष्टा मेरे पिछले जन्म में घोड़ी थी और इसने युद्धक्षेत्र में मुझे जानबूझ कर मरवाया था, इसलिए इसे भी यह दंड भोगना ही पड़ेगा । यों कह कर लड़के ने दम तोड़ दिया । @ अब क्युं रोवै ? एक पंडित बड़ा ज्ञानी था । बड़ी उम्र में जाकर उसके एक लड़का हुआ। पंडित ने अपने ज्ञान के बल से जान लिया कि मैं इस लड़के के पूर्व जन्म के एक लाख रुपये माँगता हूँ । लड़का अपना ऋण चुकाने आया है, वह जिस दिन यह ऋण चुका देगा उसी दिन चला जाएगा ( मर जाएगा ) । पंडित का राज दरबार में बहुत मान था, वह राज-पंडित था । उसने अपनी स्त्री को समझा दिया था कि मेरी अनुपस्थिति में लड़के को कहीं मत जाने देना और राज-सभा में तो कदापि न जाने देना । एक दिन राजा ने किसी आवश्यक काम से पंडित को बुलवा भेजा । लेकिन पंडित तब बाहर गया हुआ था। राजकर्मचारी ने पंडित के लड़के से कहा कि पंडितजी नहीं हैं तो आप ही चलें, सुना है आप भी बड़े विद्वान् हैं । लड़के की माँ ने उसे दरबार में जाने से बहुत मना किया, लेकिन लड़का नमाना । तब उसकी माँ ने कहा कि यदि जाते हो तो जाओ, लेकिन राजा से कोई उपहार मत लाना । लड़का चला गया। राजा के प्रश्नों का पंडित के लड़के ने समुचित उत्तर दिया । राजा बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने लड़के
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बॉलीवुड मशहूर एक्ट्रेस अमीषा पटेल इन दिनों फिल्मों से तो दूर हैं लेकिन वो अक्सर अपने हॉट फोटोशूट को लेकर सुर्खियों में बन जाती हैं. अमीषा सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहती हैं और हर थोड़े दिन में अपने हॉट फोटोज शेयर करती ही रहती हैं. अमीषा हमेशा अपने हॉट फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद चर्चाओं में आ जाती है. हाल ही में अमीषा ने एक बार फिर अपनी कुछ बोल्ड तस्वीरें शेयर कर तहलका मचा दिया है. तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा ने रेड कलर की ड्रेस पहनी है जिसमे वो बेहद ही हॉट लग रही है. इस रेड हॉट ड्रेस में अमीषा ने अपने हॉट फिगर को फ्लॉन्ट किया है. उनकी रेड लिपस्टिक लगाई है जो अमीषा की खूबसूरती में चार चाँद लगा रही हैं. वही दूसरी तस्वीरों में आप देख सकते है अमीषा अपने शर्ट के बटन खोलकर विराट पार्ट्स दिखाती हुई नजर आ रही है. पर्दे पर मासूम-सी दिखने वाली अमीषा असल जिंदगी में बेहद ही बोल्ड है. अमीषा पिछले काफी लम्बे समय से फ़िल्मी पर्दे से दूर है फिर भी वो अपनी हॉट तस्वीरों के कारण लाइमलाइट में बनी ही रहती है. अमीषा सनी देओल व अभिनेत्री प्रीति जिंटा के साथ फिल्म 'भैयाजी सुपरहिट' में नजर आने वाली है.
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ऐसा कभी होता नहीं था। मम्मी इतनी सुबह उठ कर कभी आगोश को जगाने आती नहीं थीं। इसीलिए जैसे ही मम्मी ने आगोश की चादर खींच कर उघाड़ी, वो अचकचा कर बोल पड़ीं- छी- छी... ये कैसे सो रहा है? - बेटा, एसी तो बंद कर दिया कर... कहती हुई मम्मी जल्दी से कमरे से बाहर निकल गईं। आगोश झटपट उठ कर पहले बाथरूम गया फिर कूदता हुआ मम्मी के पास आया। - हां, ये तो बताओ जगाया क्यों? - बेटा, तू दौड़ कर बाहर जा, ज़रा देख कर तो आ, अपने गैरेज के सामने ये पीली गाड़ी किसकी खड़ी है? - पीली गाड़ी? आगोश ने आश्चर्य से कहा। फ़िर बोला- कोई आया होगा डैडी से मिलने। ... पर गाड़ी यहां क्यों पार्क करेगा? आगोश बाहर की तरफ़ भागा। - उधर क्लिनिक वाले पार्किंग में जगह नहीं होगी, इसलिए कोई यहां गाड़ी खड़ी कर गया। मैं देखता हूं उधर, कौन है! पर गाड़ी है बड़ी शानदार! एकदम यूनिक। - अच्छी है? मम्मी ज़ोर से हंसती हुई हाथ में मिठाई की एक प्लेट पकड़े आगोश की तरफ़ आईं। मम्मी की खिलखिलाहट को आगोश अभी बौखलाया हुआ देख ही रहा था कि मम्मी बोलीं- अच्छी है न? तो ले, मुंह मीठा कर। आगोश चौंका। मम्मी ने बताया - ये तेरी है। कल रात को देर से आई। तू कल जल्दी ही सो गया था न, इसलिए मैंने जगाया नहीं। सोचा, सुबह- सुबह तुझे सरप्राइज़ दूंगी। आगोश कुछ ज़्यादा ख़ुश नहीं दिखा। उसने मम्मी के हाथ से लेकर मीठे का टुकड़ा तो खा लिया पर कुछ विचित्र सी मुद्रा में डायनिंग टेबल पर जा बैठा। उसकी नींद भी अभी पूरी तरह खुली नहीं थी। मम्मी बोलीं- मैं समझ गई। तुझे पसंद नहीं आई! आगोश कुछ नहीं बोला। मम्मी किसी अपराधी की भांति उसके करीब आईं और बोलीं- बेटा, सारी ग़लती मेरी ही है, तेरे डैडी तो कह रहे थे कि आगोश से ही चॉइस कराओ, पर मैंने ही कह दिया कि मुझे आगोश को सरप्राइज़ देना है। वो मेरी पसंद को रिजेक्ट थोड़े ही करेगा। अब आगोश हंसा। बोला- ओहो मॉम, किसने कहा कि मुझे पसंद नहीं आई। शानदार है! - कैसे? आगोश ने कुछ अचरज से कहा। - क्यों, उस दिन तू नहीं कह रहा था कि आर्यन को एक बड़े टीवी सीरियल में काम मिल गया, अब तो वो थोड़े ही दिनों में गोल्डन- येलो कलर की गाड़ी में घूमेगा। मम्मी ने सफ़ाई दी। मम्मी फ़िर से कुछ सीरियस होकर बोलीं- क्यों, तो क्या तू अपनी दुल्हन मेरी पसंद से नहीं लाएगा? आगोश हंसने लगा। - डैडी कहां हैं, उन्हें जाकर थैंक्स तो कह दूं। आगोश उठते हुए कहने लगा। मम्मी एकदम से ख़ुश होकर बोलीं- हां - हां जा बेटा, कह दे, वो बहुत खुश होंगे, वो तो बेचारे तुझे कुछ गिफ्ट देते हुए भी डरते हैं... फ़ोन कर दे। - फ़ोन क्यों? डैडी हैं कहां? क्या इतनी जल्दी क्लिनिक में जा बैठे? मम्मी ने कुछ अचकचा कर धीरे से बताया- अरे बेटा, मैं तो तुझे बताना ही भूल गई। वो तो कल रात की फ्लाइट से एमस्टर्डम गए हैं। आगोश का मूड एकाएक कुछ उखड़ गया। उसने फ़ोन हाथ में उठाया तो सही पर डैडी को किया नहीं। वह फ़ोन हाथ में पकड़े- पकड़े ही अपना लोअर उतार कर पटकता हुआ अपने कमरे के वाशरूम में घुस गया। मम्मी भी कुछ मायूस सी होकर अपने कमरे में चली गईं। आगोश ने लैट्रीन की सीट पर बैठे- बैठे ही आर्यन को फ़ोन मिलाया। उधर से आर्यन की आवाज़ आई- इतनी सुबह- सुबह कैसे याद फरमाया ? - हां यार, आज ज़रा जल्दी उठना पड़ा। - क्यों? - डॉन का तोहफ़ा कुबूल करना था। - कैसा तोहफ़ा? कांग्रेचुलेशंस। बधाई हो। - थैंक्स। - मिला क्या तोहफ़े में? - तेरे लिए गाड़ी। - मेरे लिए? मेरे लिए क्यों? तुझे मिली है तो तेरे लिए होगी न। आर्यन ने कहा। - मुझे मिली है तो क्या, जा मैंने तुझे दी। अब तेरी हो गई न। बस। - पर ये तो बता, मिला किस बात के लिए तोहफ़ा? आर्यन ने पूछा। - अरे यार छोड़ न, फ़िर किया होगा कोई गुल- गपाड़ा। और मुझे मेरा कमीशन दे दिया ताकि मैं मुंह बंद रखूं। आर्यन हंसने लगा। आगोश बोला- तू बता, कैसी रही यार तेरी मीटिंग कल वाली? - स्टोरी- सैशन था। हम सब लोग एक साथ थे। आर्यन ने कहा। - बाक़ी तो सब ठीक है, बस तू ज़रा उस बिल्ली से बचके रहना। आगोश ने कहा। - बिल्ली? कौन बिल्ली? मैं कुछ समझा नहीं। आर्यन चौंका। आर्यन ज़ोर से हंसने लगा। बोला- अबे, मैडम तो कभी अकेले में मिलती तक नहीं हैं किसी से.. सबकी मीटिंग एकसाथ ही लेती हैं, पूरी टीम होती है एकसाथ। - चल तो मैं धोता हूं अब, बाय! आर्यन की फ़िर खूब ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई। बोला- साले, अंदर भी फ़ोन लेकर बैठा है! आगोश ने फ्रेश होकर पहले मम्मी के साथ डायनिंग टेबल पर बैठ कर जम कर ज़ोरदार नाश्ता किया फ़िर अपने कमरे में जाकर फ़ोन पर बैठ गया। उसने सब दोस्तों को फ़ोन पर ही बताया कि उसने नई कार खरीदी है और इस ख़ुशी में शाम को रूफटॉप में हम सब एकसाथ खाना खायेंगे। पार्टी ! केवल मधुरिमा ने थोड़ी ना- नुकर की, बाक़ी सब मान गए। लेकिन थोड़ा ज़ोर देने पर मधुरिमा भी आने के लिए तैयार हो गई। इस बार की पार्टी की एक ख़ास बात थी। सबको रस ले- लेकर आगोश ने बताया कि आज की पार्टी डिनर- कम- ड्राइव है। इसलिए अपनी नई गाड़ी से आगोश बारी- बारी से सबको उनके घर से लेने आयेगा, फ़िर पहले तो सब एक साथ में एक लॉन्गड्राइव पर जाएंगे और उसके बाद डिनर होगा। आगोश ने सबको बता दिया कि पार्टी के बाद आगोश सबको उनके घर भी छोड़ेगा। मज़ा आ गया!
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बेंगलूर, (भाषा)। एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउने ने आज इस आरोप को ``गलत" बताते हुए खारिज कर दिया कि नक्सल विरोधी एक अभियान के दौरान चालक दल के सदस्य और कर्मियें ने एक घायल पुलिसकर्मी को हेलीकाप्टर में ही छोड़ दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को एक दूसरे पर ``कटाक्ष" करने से बचना चाहिए। ब्राउने ने यहां आयोजित एयरो इंडिया प्रदर्शनी के दौरान संवाददाता सम्मेलन में कहा, ``ऐसी धारणा है कि उन्होंने छोड़ दिया, वे भाग गए, मैं समझता हूं कि यह सब गलत है। " यह कथित रूप से संकेत दिया गया कि वायुसेना टीम ने हेलीकाप्टर और घायल पुलिसकर्मी को छोड़ दिया था क्योंकि वे माओवाद प्रभावित इलाके में बंधक बनाए जाने से बचना चाहते थे। वायुसेना प्रमुख ने गृह सचिव आर के सिंह द्वारा लिखे गए पत्र के लीक होने पर आश्चर्य जताया। इस पत्र में सिंह ने कथित रूप से वायु सेना के आचरण पर आपत्ति जतायी थी। उन्होंने कहा कि हमें यह सीख लेनी होगी कि एक दुर्घटना में गलती खोजने के बजाय हम सब मिलकर एक टीम की तरह एक दिशा में कार्य करें। ब्राउने ने यह चेतावनी भी दी कि नक्सल विरोधी अभियान लंबा मामला है और इसका आसान हल नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हम इस तरह कटाक्ष करते रहेंगे, ऐसा ही कश्मीर घाटी में हुआ और अब भी वहां हो रहा है, जहां वे ःराष्ट्र विरोधी ताकतेंः सुरक्षाबलों ओwर सुरक्षा एजेंसियों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, `` मैं नहीं समझता कि ऐसी स्थिति में काम करने का यह तरीका है। " यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी टिप्पणी गृह सचिव की ओर है, वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यह वहां काम कर रही ``सभी एजेंसियों" के लिए है। गृह मंत्रालय के तहत केंद्रीय पुलिस बलों पर परोक्ष जवाबी हमले के अंदाज़ में वायुसेना प्रमुख ने नक्सली इलाकों में कुछ हेलीपैड की सुरक्षा का मुद्दा उ"ाया और कहा कि अगर इसका ख्याल नहीं रखा गया तो उन क्षेत्रों में वायुसेना के हेलीकाप्टरों को निशाना बनाया जाना जारी रहेगा। उनसे नक्सल अभियान में वायुसेना कर्मियों के खिलाफ गृह मंत्रालय की शिकायत पर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी।
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कोरबा,(ब्यूरो छत्तीसगढ़)। एक करोड़ रूपयों से अधिक के धान घोटाला को लेकर जिला जेल कोरबा में निरूद्ध एक आरोपी की संदिग्ध मौत की खबर से सनसनी फैल गयी। बाद में पता चला कि महज अफवाह थी। जिला जेल कोरबा में आदिवासी सेवा सहकारी समिति सोहागपुर के एक करोड़ रूपयों से अधिक के धान घोटाला का आरोपी समिति पबंधक बजूर सिंह राज, खरीदी पभारी बुटकू सिंह और डाटा एंट्री आपरेटर खगेश पताप सिंह न्यायिक अभिरक्षा में है। बीती रात क्षेत्र में खबर फैली की समिति पबंधक बजूरसिंह राज की जिला जेल में संदिग्ध मौत हो गयी। इस खबर से कोरबा से लेकर सोहागपुर तक सनसनी फैल गयी। बहरहाल जेल में संपर्प करने पर पता चला कि धान घोटाला के तीनों आरोपी सकुशल हैं। यहां उल्लेखनीय है कि इस घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद काईम ब्रांच पुलिस ने सोहागपुर से दो युवकों को अवैध रिवाल्वर के साथ गिरप्तार किया था। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से पचारित करने का पयास किया गया था कि डाटा एंट्री आपरेटर खगेश पताप ने इन दोनों युवकों को अपने पिता धान खरीदी पभारी बुटकू सिंह की हत्या की सुपारी दी थी। हत्या के बाद दोनों आरोपियों को जिला सहकारी केन्दीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेन्द पाण्डेय के इशारे पर हत्या करने का बयान कथित रूप से पुलिस में दर्ज कराना था। लेकिन न तो पुलिस जांच में ऐसे किसी तथ्य का खुलासा हुआ और नही इसे स्थापित किया जा सका। खास बात यह है कि सोहागपुर गांव वर्षों से खतरनाक हथियारों की खरीद-फरोख्त के लिए मशहूर है। इधर दूसरी ओर धान घोटाला मामले में तीन आरोपियों की गिरप्तारी के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। तीनों ही आरोपी घोटाले में जिला सहकारी केन्दीय बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष देवेन्द पाण्डेय को घोटाले की रकम में से अस्सी लाख रूपये देने का आरोप लगा चुके हैं।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और यूपी चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने यूपी दौरे पर हैं. वहां लगातार रैलियां कर रहे हैं, ताकि आगामी चुनाव में मजबूती से लड़ सकें. इसी कड़ी में सीएम बघेल ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि भाजपा लगातार छोटे, मध्यम व्यापारियों को खत्म कर रही है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी पर जिम्मेदारियाँ बहुत हैं, जिसकी वजह से वह अपना मूल कार्य नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें CM की कुर्सी किसी अन्य को देकर पूरी तरह प्रियंका जी के OSD के रूप में उत्तरप्रदेश ही कैम्प करना चाहिए। इस पर राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर जिम्मेदारियां बहुत हैं, जिसकी वजह से वह अपना मूल कार्य नहीं कर पा रहे हैं. पांडेय ने लिखा कि उन्हें CM की कुर्सी किसी अन्य को देकर पूरी तरह प्रियंका गांधी के OSD के रूप में उत्तरप्रदेश ही कैम्प करना चाहिए. उनकी 'व्यस्तता' राज्य के विकास में बाधा है. दरअसल, सीएम बघेल ने लिखा था कि आज नेहरू युवा केंद्र, लखनऊ में उत्तर प्रदेश के विभिन्न व्यापारी वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक संवाद हुआ. अधिकतर लोगों ने कहा कि पहले हमने भाजपा को उम्मीद के साथ वोट दिया था, लेकिन अब वे यह गलती नहीं दोहराएंगे. भाजपा लगातार छोटे, मध्यम व्यापारियों को खत्म कर रही है.
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योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ वाट्सएप ग्रुप पर अश्लील पोस्ट डालने के आरोपी युवक को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। युवक सांडी थाना क्षेत्र का निवासी है। उसके खिलाफ बजरंगदल के जिला संयोजक की तहरीर पर पुलिस ने आईटी एक्ट में रिपोर्ट दर्ज की थी। हरदोई के थाना क्षेत्र के कस्बा निवासी मोहम्मद फुरकान ने अपने नंबर से माई ग्रुप नाम से वाट्सएप ग्रुप बना रखा है। बुधवार को आरोपी ने ग्रुप पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का आपत्तिजनक फोटो डाला। फोटो के नीचे उनसे संबंधित अश्लील पोस्ट डाली थी। कथित पोस्ट बजरंगदल के जिला संयोजक अभिषेक द्विवेदी ने देखी। उन्होंने बुधवार रात आपत्तिजनक पोस्ट डालने की तहरीर शहर कोतवाली में दी थी। पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत मोहम्मद फु करान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की और सांडी पुलिस से संपर्क कर मामले से अवगत कराया था। एसओ सांडी रणजीत सिंह ने बुधवार देर रात फुरकान को गिरफ्तार कर शहर कोतवाली पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। कोतवाल कमलेश नारायण पांडेय ने बताया कि मामले में कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है। ग्रुप से जुडे़ सदस्यों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है। बताया कि जांच पूरी होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें। Read the latest and breaking Hindi news on amarujala. com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities, lifestyle, astrology, spirituality, jobs and much more. Register with amarujala. com to get all the latest Hindi news updates as they happen.
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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की ताजपोशी की खबर से ही राजनीतिक दलों में हलचल मच गई है। शायद यही वजह है कि तीसरे मोर्चे की कवायद को भी रफ्तार दी जा रही है। सीपीआई-एम के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश करात व माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली ने मंगलवार को यूपी के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की। कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने अखिलेश यादव से मिलकर मुजफ्फनगर दंगों के पीड़ितों की बदतर हालत पर चिंता जताते हुए उसे तत्काल दुरुस्त करने की मांग की। करात ने कहा कि राहत शिविरों की हालत ठीक नहीं है। करात ने कहा कि वहां लोग बस किसी तरह जिंदगी बिता रहे हैं। कुछ लोगों के मरने की भी सूचना है। करात ने बताया कि उन्होंने राज्य सरकार को स्थित सही करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। दंगों पर हो रही राजनीति पर करात ने कुछ कहने से मना कर दिया, पर उन्होंने यह जरूर कहा कि बेकुसूर लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए। दूसरी ओर, सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि इस मुलाकात का अहम मुद्दा तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर था। पता चला है कि इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस के बिना सरकार बनाने की रणनीति बनाई गई। गौरतलब है कि पिछले दिनों वामपंथी मोर्चे ने दिल्ली में एंटी कम्यूनल फ्रंट की रैली आयोजित की थी। इसमें सपा भी शामिल हुई थी और मुलायम ने कहा था कि तीसरे मोर्चे का गठन देश के लिए जरूरी है। माना जा रहा है कि इस बैठम में एंटी कम्यूनल फ्रंट को ही मजबूत करने पर चर्चा हुई।
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रांचीः राजधानी में संत जेवियर्स कॉलेज (St. Xavier's College) की छात्रा ने फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली है। छात्रा का शव शुक्रवार शाम को उसके कमरे से बरामद किया गया। मृतक छात्रा का नाम अदिति कुमारी है। वह संत जेवियर्स कॉलेज में बीकॉम की छात्रा थी। अदिति मूलरूप से पलामू के छतरपुर की रहने वाली है। वर्तमान में वह रांची के चर्च रोड में कृष्णा हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी। पुलिस की टीम ने घटना की जानकारी छात्रा के परिजनों को भी दी। हालांकि अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। देर रात मिली जानकारी के अनुसार, अदिति के कमरे में दो और छात्राएं रहती हैं, लेकिन वह छुट्टी में गई हुई थी। इन दिनों अदिति कमरे में अकेली रह रही थी। शुक्रवार की सुबह नाश्ता करने के बाद कमरे से निकली थी। मगर वह काफी गुमसुम भी थी। दोपहर में उसने खाना भी नहीं खाया। शाम तक जब वह कमरे से बाहर नहीं निकली तो हॉस्टल के मालिक उसे देखने कमरे में गए, लेकिन दरवाजा भीतर से बंद था। काफी आवाज लगाने के बाद भी जवाब नहीं मिला। इसके बाद खिड़की से झांक कर देखा तो छात्रा फंदे से झूलती दिखी। इसके बाद लोअर बाजार थाने को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया।
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Intertemporal budget constraint इस श्रेणी का आन्तरगणन कहलाता है। परन्तु इस सूत्र में यह मान्यता ली जाती है कि लम्बाई में परिवर्तन के साथ भार में एक निर्दिष्ट क्रम में ही परिवर्तन होगा। Intertemporal budget constraint ( इंटरटेम्पोरल बजट काँस्ट्रेन्ट) अन्तर- अवधि बजट सीमा किसी व्यक्ति, फर्म या सरकार के व्यय को निर्दिष्ट अवधि में दी हुई सीमा के अन्तर्गत ही रखे जाने की शर्त । व्यक्ति के लिए यह अवधि उसके जीवनकाल तक, तथा फर्म व सरकार के लिए उनके कार्यकाल तक सीमित रहती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बजट सीमा के अन्तर्गत व्यक्ति या फर्म की आय तथा सरकार की कुल प्राप्तियों के अलावा ऋणों की राशि भी शामिल की जाती है। Intertemporal substitution अन्तर- अवधि प्रतिस्थापन एक निर्दिष्ट अवधि के अन्तर्गत विभिन्न वस्तुओं के मध्य स्थानापन्नता की सीमा । उदाहरण के लिए, यदि यात्री किराया व्यस्तकाल में बहुत अधिक हो तथा वर्ष के अन्य महीनों में कम हो तो बहुत से लोग अपनी छुट्टियों के समय व्यस्तकाल की अपेक्षा अन्य महीनों में भ्रमण की योजना बना लेंगे। इसी के अन्तर्गत उपभोक्ताओं के वर्तमान तथा भावी उपभोग के मध्य प्रतिस्थापन को भी शामिल किया जा सकता है। यदि उपभोक्ता राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग उपभोग व्यय में प्रयुक्त करते हैं तो बचत तथा निवेश कम होने के फलस्वरूप आर्थिक विकास की दर कम होगी जिससे भविष्य में उपभोग हेतु प्राप्त होने वाली राशि भी कम हो जाएगी। इसके विपरीत जिस समाज में उपभोक्ता आज अधिक बचत तथा निवेश करते हैं उनका वर्तमान उपभोग स्तर कम होगा, परन्तु भविष्य में आय बढ़ने के फलस्वरूप उपभोग भी बढ़ जाएगा। Intra-industry specialization उद्योगों के मध्य विशिष्टीकरण ऐसी स्थिति जिसमें एक ही उद्योग से सम्बद्ध फर्मे विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं। उदाहरण के लिए, वस्त्र उद्योग के अन्तर्गत एक फर्म केवल सूटिंग-शटिंग वस्त्रों का उत्पादन कर सकती है, जबकि दूसरी फर्म केवल बैड-शीट या तौलियों का उत्पादन करती है। इनमें प्रत्येक फर्म विशिष्टीकरण के कारण वृहत् - स्तर पर उत्पादन करके प्रति इकाई लागत में कमी कर सकती है। Intra-industry trade (इंट्रा-इन्डस्ट्री ट्रेड) अन्तः फर्म व्यापार ऐसी स्थिति, जिसमें एक ही उद्योग से सम्बद्ध अलग-अलग देशों में कार्यरत विभिन्न फर्म विशिष्टता के आधार पर उत्पादन करती हैं तथा परस्पर व्यापार करती हैं। कभी-कभी एक सीज़न में कोई देश किसी वस्तु का निर्यात करके दूसरे सीज़न में उसका आयात कर सकता है। उदाहरण के लिए भारत सर्दियों में सेव का निर्यात
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सीरियाई-तुर्की सीमा पर, लड़ाई तुर्की सशस्त्र बलों और कुर्दों के बीच हुई। दक्षिणी दमिश्क में आतंकवादियों ने SAA के सहयोगियों पर हमला किया। बताया गया है प्रशंसक सीरियाई स्रोतों के संदर्भ में। दक्षिण-पश्चिमी दमिश्क में, सरकारी बलों और सशस्त्र विपक्षी समूहों के बीच संघर्ष कम नहीं हुआ है। मुग़र अल-मीर शहर के पास भयंकर युद्ध हुआ, जहाँ एसएए तेल अल-अहमर, तेल अल-मजन और तेल अल-खातजान की पहाड़ियों को मुक्त करने में कामयाब रहा। इस प्रकार, एसएआर सैनिकों ने गांव को व्यवस्थित रूप से घेर लिया, जो कि उग्रवादियों द्वारा नियंत्रित अन्य क्षेत्रों से इसे काटने की कोशिश कर रहा था। सीरियाई-तुर्की सीमा के पास कोबानी (अलेप्पो प्रांत) शहर के पास, शाम को तुर्की सेना और आत्मरक्षा बलों (वाईपीजी) के बीच भयंकर संघर्ष शुरू हुआ। सर्जक तुर्की पक्ष था। कुर्द इकाइयों ने हमले को दोहरा दिया, लेकिन मारे गए और घायल हुए कई सैनिकों को खो दिया। बाद में, कुर्दों ने तुर्की के दक्षिणी बाहरी इलाके में आग लगा दी, जिससे एक नागरिक की मौत हो गई। सीरियाई रेड क्रिसेंट ने सीमावर्ती शहर अबू केमल (दीर एज़-ज़ोर प्रांत) में मानवीय सहायता पहुंचाई। कार्गो में भोजन और दवा के साथ किट होते थे। इसके अलावा, शहर में, सीरियाई इंजीनियरिंग इकाइयों और रूसी केंद्र के युद्धरत दलों के पुनर्निर्माण के लिए, गांव के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने और बहाल करने के लिए, अपने काम को जारी रखा। सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) और आईएस इकाइयों के बीच झड़पें फिर से शुरू हुईं, जो कुर्दों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों की ओर एसएए और रूसी एयरोस्पेस बलों के हमले के तहत भाग गईं। टकराव के परिणामस्वरूप, कुर्द बलों ने युफ्रेट्स के पूर्वी तट पर हसियत, जेयशी, जादलेह, अल-बहरा और गार्नी के गांवों पर कब्जा करने में कामयाब रहे। पिछले दिनों, रक्का में एक बार विस्फोट के दौरान आतंकवादियों द्वारा विस्फोट किए गए दो विस्फोटक उपकरण। इस तथ्य के कारण कि कुर्द प्रांतीय राजधानी की मंजूरी पूरी नहीं करते थे, रक्का में विस्फोट लगभग दैनिक होते हैं। हालांकि, स्थानीय आबादी शहर में वापस आ रही है, जिससे उनकी जान जोखिम में है। कुर्दों या पश्चिमी गठबंधन की ताकतों से मदद की उम्मीद नहीं करते हुए, नागरिकों ने स्वतंत्र रूप से रामला क्वार्टर में मलबे को सॉर्ट करना शुरू कर दिया। दिन भर सीरियाई इकाइयों ने हमा प्रांत के उत्तरी भाग में आक्रामक विकास जारी रखा। लड़ाई के दौरान, SAA के नियंत्रण में कई सामरिक ऊंचाइयां गुजरीं। एसएआर बलों और समर्थक असद समूहों का समर्थन रूसी वायु सेनाओं द्वारा प्रदान किया गया था।
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कोलकाकात। पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेश प्रमुख सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया पर कथित बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने की चूक के लिए शुक्रवार को माफी मांगी ली। मजूमदार ने साफ किया कि उनके ट्विटर अकाउंट को संभालने वाली टीम से यह गलती हुई थी और जैसे ही यह उनके संज्ञान में आया, उन्होंने फौरन सुनिश्चित किया कि ट्वीट डिलीट किया जाए। दक्षिण दिनाजपुर जिले के बारोमाश इलाके में बृहस्पतिवार की रात को एक आदिवासी महिला का शव मिला था। मजूमदार ने सरकार पर हमला करते हुए शव का फोटो ट्वीट किया था और उसकी पहचान जाहिर कर दी थी तथा कहा था कि उसकी बलात्कार के बाद हत्या की गई है। उनके ट्विटर अकाउंट पर इस बार महिला की धुंधली तस्वीर पोस्ट की गई है। प्रदेश भाजपा प्रमुख की उनकी असंवेदनशीलता को लेकर आलोचना करते हुए,तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, सुकांत मजूमदार ने जो किया है वह निंदनीय है। जांच चल रही है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पहचान जाहिर की है। यह दिखाता है कि भाजपा नेता कितने लापरवाह हैं। मजूमदार ने दिन के दौरान राज्य की महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की। उन्होंनेबीरभूम के तारापीठ मंदिर में दर्शन के बाद कहा, "राज्य भर में जिस तरह से बलात्कार और अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे साबित होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो चुकी है। जिस राज्य में एक महिला मुख्यमंत्री हैं, वहां हमारी मां-बहनें सुरक्षित नहीं हैं तो यह यह शर्मनाक है। " शाम को उन्होंने दक्षिण दिनाजपुर जिले में आदिवासी महिला के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
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गंगाशहर एरिया में चैम्बर की चपेट में आने से एक युवक की मौत के मामले में शनिवार को पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी पर जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने चैंबर दुरुस्त करवाने के साथ ही संबंधित कंपनी के ठेकेदार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की। दरअसल, कुछ दिन पहले रोहित कच्छावा अपने मित्र के साथ गंगाशहर से जा रहा था कि रास्ते में सीवरेज लाइन के चेंबर की चपेट में आ गए। अंधेरा होने के कारण आधा फीट ऊंचा आया चैंबर नजर नहीं आया। ऐसे में युवकों की मोटर साइकिल अंधेरे में उससे जा टकराई। दोनों को गंभीर हालत में पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज के दौरान रोहित की मौत हो गई। उसका शव मोर्चरी में रखा गया था, जहां गंगाशहर से बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत और कांग्रेस नेता गोपाल गहलोत भी मौके पर पहुंचे। यहां काफी देर विरोध प्रदर्शन किया गया। मुख्य मांग उस ठेकेदार को गिरफ्तार करने की थी, जिसने ये चैंबर सड़क के इतनी उपर बना दिए। आरयूआईडीपी के माध्यम से हो रहे इस काम के लिए एक प्राइवेट कंपनी को ठेका दिया गया था। इसी कंपनी के खिलाफ अब गंगाशहर थाने में मामला दर्ज किया जा रहा है। शाम होने तक दोनों पक्षों में समझौता हो गया, जिसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। मुआवजा देने पर भी सहमति बनी है लेकिन कितना मुआवजा होगा? ये अभी तय नहीं है। पीड़ित पक्ष ने रोहित के घर से किसी को सरकारी नौकरी देने की मांग भी रखी थी। This website follows the DNPA Code of Ethics.
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